स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के साथ खिलवाड़ है इलाहाबाद के नाम को समाप्त करना: ओंकारनाथ

स्वतंत्रता संग्राम
ओंकारनाथ सिंह, प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस। (फाइल फोटो।)

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ द्वारा इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज घोषित किए जाने की घोषणा को लेकर रविवार को कांग्रेस ने योगी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्‍ता ओंकारनाथ सिंह ने कहा कि सबसे पहले प्रयागराज के संबंध में मुख्यमंत्री को यह जानकारी होनी चाहिए कि प्रयागराज नाम पहले से ही है।

ओंकारनाथ ने आज अपने एक बयान में कहा कि मुख्‍यमंत्री को यदि प्रयागराज नाम रखना ही है जिस प्रकार इलाहाबाद के कुछ हिस्से को अलग कर कौशांबी  नया जनपद बनाया है। उसी प्रकार से कुछ हिस्से को अलग कर प्रयागराज जिला बनाया जा सकता है, लेकिन इलाहाबाद के नाम को समाप्त करना स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के साथ खिलवाड़ है, जिसे देश व प्रदेश की जनता स्वीकार नहीं करेगी।

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प्रदेश प्रवक्‍ता इलाहाबाद के इतिहास का जिक्र करते हुए बोले कि ऐसा कहा जाता है, जब सृष्टि की रचना हुई तो ब्रहमा जी ने यहीं प्रथम यज्ञ किया था, इसलिए प्र और यज्ञ को लेकर प्रयाग नाम बना। प्रयागराज के नाम से रेलवे स्टेशन है ओर कुंभ का आयोजन प्रयागराज के क्षेत्र के अन्तर्गत ही होता है। ये क्षेत्र भी करीब 20 किलोमीटर में हैं।

विश्‍वविद्यालय कैसे संजो पाएगा अपनी पहचान

ओंकारनाथ ने योगी सरकार से सवाल करते हुए कहा कि अगर इलाहाबाद का नाम प्रयागराज रखा जाता है तो इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय का नाम भी प्रयागराज विश्‍वविद्यालय होगा ऐसी परिस्थिति में विश्‍वविख्यात स्तर का विश्‍वविद्यालय अपनी पहचान कैसे संजो पाएगा। वहां के छात्रों को क्या वैसा सम्मान मिलेगा जो इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय के नाम से मिलता था। वहीं उन्‍होंने उदाहरण देते हुए बताया कि केजी मेडिकल कालेज को मायावती ने जब छत्रपति शाहू जी महाराज चिकित्सा विश्‍वविद्यालय का दर्जा दिया था तो उसकी महत्ता कम हो गयी थी जिसके कारण सरकार को पुनः केजीएमयू घोषित करना पड़ा।

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स्‍वतंत्रता संग्राम में है इलाहाबाद की बड़ी भूमिका

प्रदेश प्रवक्‍ता ने आगे कहा कि इलाहाबाद की स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ी भूमिका है। 1857 की गदर में लियाकत अली खां ने यहां का नेतृत्व किया था। गांधी युग में इलाहाबाद लोगों का प्रेरणा केंद्र था। वर्ष 1888, 1892, 1910 में यहां कांग्रेस का महाधिवेशन हुआ था, जिसमें देश की आजादी के लिए अनेक योजनाएं बनी थीं। अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अल्‍फ्रेरड पार्क में अंग्रेजों द्वारा घेरे जाने पर अंग्रेजी पुलिस से मोर्चा लिया, जिसमें ब्रिटिश पुलिस अध्यक्ष और पुलिस अधिकारी घायल हुए और मारे भी गए। साथ ही उन्‍होंने अपनी ही अंतिम गोली से खुद को शहीद कर लिया था।

इतना ही नहीं इलाहाबाद का अमरूद बहुत मशहूर है और इलाहाबादी अमरूद के नाम से वह बाजार में बेंचा जाता है। ऐसे में जब इलाहाबाद नाम ही नहीं रहेगा  तो उसका ब्रांड भी प्रभावित होगा और मुख्यमंत्री की वन डिस्ट्रिट-वन प्रोडक्ट की योजना भी प्रभावित होगी इतना ही नहीं ऐसी तमाम चीजें हैं, जिनके लिए काफी दिक्कतें पैदा होगीं।

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