आरयू ब्यूरो, लखनऊ। ताजमहल के तेजो महालय होने और बंद कमरों में मूर्तियां होने संबंधी तमाम चर्चाओं, दावों और अदालत में डाली गई अर्जियों के बीच तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले के आरटीआई आवेदन का एएसआई ने जवाब दिया है। एएसआई ने ताजमहल में ऐसे किसी भी तथ्य होने से साफ तौर पर इंकार किया है। साथ ही आरटीआई के जवाब में भारतीय पुरातत्व विभाग ने जवाब दाखिल कर कहा कि ताजमहल में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां नहीं मिली हैं। ये भी साफ कहा गया कि मंदिर की जमीन पर ताज का निर्माण नहीं किया गया है।
वहीं एएसआई के जवाब को साकेत गोखले ने सोशल मीडिया में ट्वीट भी किया है। साकेत गोखले ने ट्वीट कर बताया कि- ”भारतीय पुरातत्व सर्वेद्वक्षण ने मुझे बताया कि उस स्थान पर कोई मंदिर मौजूद नहीं था जहां ताजमहल है। ताजमहल में “मूर्तियों वाले बंद कक्ष” नहीं हैं।” साथ ही ये भी कहा ‘आशा है कि अदालतें बीजेपी/आरएसएस की सभी शरारती याचिकाओं पर जुर्माना लगाएगी और मीडिया वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा।’
गौरतलब है कि विश्व के अजूबों में शुमार ताजमहल के हिंदू मंदिर होने के दावे, जयपुर राजघराने का पैलेस होने का दावा और इसके 22 बंद कमरों में हिंदू मंदिर होने के प्रमाण संबंधी दावे किए गए, हालांकि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में 22 कमरों को लेकर दायर की गई याचिका खारिज हो चुकी है।
सबसे पहले वर्ष 1965 में पीएन ओक की पुस्तक ‘ताजमहल अ ट्रू स्टोरी’ में इसके शिव मंदिर होने का दावा किया गया था। इसके बाद वर्ष 2015 में आगरा की अदालत में ताजमहल को तेजो महालय (शिव मंदिर) घोषित करने की याचिका डाली गई थी। साल 2017 में भाजपा सांसद विनय कटियार ने मुख्यमंत्री योगी से इसे तेजो महालय घोषित करने की बात रखी थी। इसी वर्ष भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी दावा किया था कि वो ताज महल के दस्तावेजों तक पहुंच चुके हैं। दस्तावेजों के मुताबिक शाहजहां ने जयपुर राजघराने से ताजमहल की उस जमीन को जबरन बेचने को मजबूर किया और उसके एवज में महज 40 गांव दिए थे।
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बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में अयोध्या के बहरामऊ के रहने वाले डेंटिस्ट डॉ. रजनीश ने याचिका दायर की थी। रजनीश भाजपा की अयोध्या जिला समिति के सदस्य हैं और मीडिया कोऑर्डिनेटर भी हैं। याचिका में ताजमहल के ऊपरी और निचले हिस्से में स्थित वो 22 बंद कमरों को खुलवाकर एएसआई से जांच कराने की बात कही गई थी। याचिका में ताजमहल के अतीत में ‘तेजो महालय’ होने का दावा किया गया था, हालांकि अदालत ने ये कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि, आप एक समिति के माध्यम से तथ्यों की खोज की मांग कर रहे हैं, आप कौन होते हैं, यह आपका अधिकार नहीं है और न ही यह आरटीआई अधिनियम के दायरे में है।