सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन को सुनाई छह माह की सजा, मीडिया पर भी बयान छापने पर रोक

जस्टिस कर्नन

आरयू वेब टीम।

देश की सर्वोच्‍च अदालत ने आज एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक एक मामले को लेकर जस्टिस सी एस कर्नन को छह महीने की सजा सुनाई है। जस्टिस को अदालत की अवमानना का दोषी माना गया है। एससी ने जस्टिस को तत्‍काल जेल भेजने को भी कहा है।

यह भी पढ़े- सुप्रीमो कोर्ट ने दिया लालू को झटका, चारा घोटाला मामले में चलेगा साजिश रचने का केस

उल्‍लेखनीय है कि कल कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस कर्नन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर और सात अन्य जजों क पांच साल की जेल की सजा सुना दी थी। बताया जा रहा है कि जस्टिस कर्नन देश के पहले सीटिंग जज हैं, जिनके खिलाफ उच्चतम अदालत ने सजा सुनायी है।

यह भी पढ़े- निर्भया के गुनाहगारों को होगी फांसी, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी माफी

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उसके आदेश का तत्काल पालन किया जाए। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने न्यायमूर्ति कर्नन द्वारा पारित आदेशों की सामग्री को मीडिया में प्रकाशित करने पर भी पाबंदी लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन को सुनायी गयी सजा को तत्काल प्रभाव से पालन करने का आदेश दिया है।

यह भी पढ़े- जनता का स्‍वास्‍थ्‍य है ज्‍यादा जरूरी, नहीं बिकेंगे सवा आठ लाख वाहन: सुप्रीम कोर्ट

गौरतलब है कि कल ही एससी-एसटी प्रताड़ना एक्ट 1989 के तहत जस्टिस कर्नन ने सुप्रीम कोर्ट के आठ न्यायधीशों के खिलाफ फैसला सुनाया था। जस्टिस कर्नन ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर न्यायिक ताकतों के दुरूपयोग करने का आरोप लगाया था। उच्चतम न्यायलय ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया।

यह भी पढ़े- सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मायावती ने कहा जिद और अहंकार छोड़कर लोकपाल की नियुक्ति करें मोदी

जस्टिस कर्नन ने जिन सात जजों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया, उनमें जस्टिस दीपक मिश्रा, रंजन गगोई, मदन बी लोकुर, पिनाकी चंद्र घोष और कूरियन जोसफ शामिल हैं।