आरयू वेब टीम।
गैंगरेप और पाक्सो एक्ट समेत गंभीर मामलों में फंसे सपा के परिवहन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को आज सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया। सलाखों के पीछे जाने से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गायत्री की ओर से लगाई गई गुहार पर आज सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायलय ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि गैर जमानती आदेश को निचली अदालत में चुनौती दें। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद भगोड़ा घोषित हो चुके गायत्री का जेल जाना तय हो गया।
राज्यपाल उठा चुके हैं सवाल
इससे पहले रविवार को राज्यपाल राम नाइक ने सूबे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर पूछा था कि गैंगरेप समेत गंभीर मामले के आरोपित गायत्री प्रजापति के कैबिनेट में रहने का क्या औचित्य है, जबकि एफआईआर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दर्ज की गई है। इसके अलावा उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट तक जारी हो चुका है।
सपा सरकार, पुलिस और सीएम पर लग रहे गंभीर आरोप
इसके साथ ही इस मामले में भाजपा के तमाम नेता भी पुलिस, सपा सरकार समेत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने तो यहां तक दावा कर दिया था कि अखिलेश ने गायत्री को अपने घर में छिपा रखा है।
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इस पर जवाब देते हुए सीएम ने मीडिया को अपना घर दिखाने की बात कही थी। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी चर्चा है कि यूपी की हाइटेक पुलिस सिर्फ भैंस ढ़ूढ सकती है, गायत्री को नहीं।
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दूसरी ओर मामले की जांच कर रही सीओ आलमबाग अमिता सिंह पर पीडि़ता ने भी गंभीर आरोप लगाए थे। पीडि़ता का कहना था कि दिल्ली में बयान लेने के दौरान अमिता सिंह ने उन्हें न सिर्फ घमकाया बल्कि बयान नहीं बदलने पर इनकाउंटर तक की घमकी दी थी। पुलिस के आला अधिकारी सीओ पर लगे आरोपों की भी जांच करा रहे हैं।
आज-कल में मंत्रिमण्डल से बर्खास्त हो सकते है गायत्री
समझा जा रहा है कि हर तरफ से सराकार की किरकिरी होने पर अखिलेश यादव कभी भी विवादित मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर सकते हैं। सीएम की यह कार्रवाई आज-कल में हो सकती है। दूसरी ओर गायत्री का पता नहीं चलने पर राजधानी पुलिस कुर्की की तैयारी शुरू कर रही है।