आरयू ब्यूरो, लखनऊ। चार बेगुनाहों की जान लेने वाले हजरतगंज के होटल लिवाना सूइट्स को अवैध तरीके से बनवाने व पांच सालों तक बचाने वाले पीसीएस अफसर समेत 19 दोषियों पर शासन का हंटर चलने के बाद जहां छह दिन के अंदर हुई इस बड़ी कार्रवाई पर योगी सरकार की सराहना हो रही। वहीं कई संभावित दोषियों व बड़े अफसरों पर कार्रवाई की आंच तक नहीं आने से अब तक गोपनीय बनें दोषियों को चिन्हित करने के फॉर्मूले को लेकर सवाल भी उठ रहें हैं।
जोन छह के जेई जितेंद्र नाथ दूबे व मेट राम प्रताप के निलंबित किए जाने व वर्तमान जोनल अफसर पर कृपा बरसाने के बारे में भले ही एलडीए से शासन तक के अफसर कुछ भी बोलने से बच रहें, लेकिन यह सवाल उठ रहा है कि आवासीय भूमि पर अवैध तरीके से बनें व संचालित हो रहे पांच मंजिला होटल पर सीलिंग व ध्वस्तीकरण जैसी प्रभावी कार्रवाई के लिए लगभग नौ महीने से प्रवर्तन जोन छह की जिम्मेदारी संभाल रहे जोनल अफसर राजीव कुमार यादव को जेई व मेट ही रोके थे, जिस वजह से दोनों पर तो कार्रवाई हुई, लेकिन सिर्फ नोटिस जारी करवाने वाले जोनल अफसर को बख्श दिया गया।
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गोमतीनगर के एलडीए मुख्यालय की जगह अधिकतर समय लिवाना होटल से कुछ ही दूरी पर स्थित एलडीए के लालबाग कार्यालय में बिताने वाले जोन छह के पहले जोनल अफसर राजीव कुमार को बचाए जाने को लेकर इसलिए भी सवाल उठ रहें, क्योंकि जून में डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने भी एलडीए वीसी की कुर्सी संभालते ही सभी जोनल अफसरों के साथ बैठक कर साफ तौर पर चेतावनी देते हुए कहा कि था कि अवैध निर्माणों के मामले में तारीख पर तारीख देकर इसे बिल्कुल भी लंबा न खीचा जाए।
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उपाध्यक्ष की चेतवानी के बाद भी चार मासूमों की जान लेने वाले लिवाना होटल पर नोटिस से आगे की कार्रवाई महीनों बाद भी नहीं की गयी। दूसरी ओर आग लगने के बाद पूर्व में जोन छह के विहित प्राधिकारी रहें पीसीएस अफसर महेंद्र कुमार मिश्रा, एक्सईएन अरुण कुमार सिंह व ओपी मिश्रा, एई राकेश मोहन, जेई रविंद्र श्रीवास्तव, जीडी सिंह व जयवीर सिंह को भी निलंबित कर दिया गया है।
चर्चित जेई भी कार्रवाई के फॉर्मूले में नहीं बैठा फिट
वहीं अवैध होटल बनने के बाद करीब तीन सालों तक हजरतगंज क्षेत्र में तैनात रहें जेई सुशील वर्मा पर भी शासन की मेहरबानी की बात लोगों के गले नहीं उतर रहीं है। सुशील पर हजरतगंज में तैनाती के दौरान न सिर्फ अवैध निर्माण के एवज में वसूली करने के दर्जनों आरोप लग चुके थे, बल्कि लिवाना अग्निकांड के बाद एलडीए वीसी की ओर से शासन को भेजी गयी दोषी इंजीनियरों की लिस्ट में भी उनका नाम था।
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मुख्य बड़े दोषी अफसरों को बचाने के लिए जांच की गयी प्रभावित
एलडीए कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह ने भी जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि सिर्फ तत्कालीन मेट व जेई को निलंबित करना न्याय संगत नहीं है। मेट के पास तो जेई को अवैध निर्माण के बारे में मौखिक जानकारी देने के अलावा उस पर कार्रवाई करने के लिए कोई अधिकार ही नहीं है। मुख्य बड़े दोषी अफसरों को बचाने के लिए जांच प्रभावित की गयी है। इस पूरे मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए, जिससे कि सभी असली दोषियों पर कार्रवाई हो सके।
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बताते चलें कि पुलिस कमिश्न व मंडलायुक्त की जांच रिपोर्ट शासन के पास पहुंचने के बाद शनिवार रात सीएम योगी के निर्देश पर एलडीए समेत पांच विभागों के 15 अधिकारी, इंजीनियर व कर्मी को निलंबित कर दिया गया है।
इन पर गिरी गाज
निलंबित होने वालों में एलडीए जोन छह के तत्कालीन विहित प्राधिकारी महेंद्र कुमार मिश्रा, एई राकेश मोहन, जेई जितेंद्र नाथ दुबे, रविंद्र श्रीवास्तव व जयवीर सिंह के अलावा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राम प्रताप शामिल है।
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वहीं अग्निशमन विभाग के तत्कालीन अग्निशमन अधिकारी सुशील यादव, अग्निशमन अधिकारी द्वितीय योगेंद्र प्रसाद व सीएफओ विजय कुमार सिंह, ऊर्जा विभाग से विजय कुमार राव सहायक निदेशक विधुत सुरक्षा, जेई आशीष मिश्रा व एसडीओ राजेश मिश्रा को निलंबित किया गया है। इसी क्रम में आबकारी विभाग के तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी संतोष कुमार तिवारी, आबकारी इंस्पेक्टर सेक्टर एक अमित श्रीवास्तव व उप आबकारी आयुक्त भी लिवाना अग्निकांड में निलंबित हुए है।
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साथ ही इस मामले में दोषी मिले एलडीए से रिटायर हो चुके एक्सईएन ओपी मिश्रा, अरुण कुमार सिंह व जेई जीडी सिंह और अग्निश्मन विभाग के एक अवकाश प्राप्त सीएफओ पर विभागीय कार्रवाई के लिए विभागों को निर्देश दिए गए हैं।
सात में से छह इंजीनियर चारबाग अग्निकांड के भी दोषी
लिवाना अग्निकांड के अलावा तत्कालीन एक्सईएन ओपी मिश्रा, अरुण कुमार सिंह, सहायक अभियंता राकेश मोहन, जेई जीडी सिंह, रविंद्र श्रीवास्तव व जयवीर सिंह सात मासूमों की जान लेने वाले चारबाग होटल अग्निकांड के भी दोषी है। 50 महीना बीतने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर “राजधानी अपडेट” ने दोषियों को बचाने की अफसरों की कारस्तानी का बीते 23 अगस्त को ही खुलासा किया था, जिसके बाद 24 अगस्त को चार्जशीट देने की कवायद शासन से शुरू हुई थी, जबकि उपाध्यक्ष के निर्देश पर भी इस मामले के आठ दोषी कर्मचारियों (बाबू व चतुर्थ श्रेणी) पर कार्रवाई के 15 दिन का समय दिया गया था, हालांकि अब भी इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गयी है।