आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। बीते 12 जुलाई को विधानसभा में मिले मामूली पाउडर को पीईटीएन बताने वाले निलंबित एफएसएल निदेश पर आज अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की गयी है। निदेशक डॉ. श्याम बिहारी उपाध्याय को अनिवार्य सेवानिवृति दे दी गई।
राज्यपाल रामनाईक के आदेश के बाद प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने मीडिया को बताया कि जारी शासनादेश के मुताबिक डॉ उपाध्याय का कार्यकाल 19 दिसंबर 2017 को दोपहर से समाप्त हो गया है।
बताते चलें कि 12 जुलाई को यूपी विधानसभा में एक कुर्सी पर संदिग्ध पाउडर मिला था। जिसे जांच के लिए लखनऊ की विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया था। जहां जांच में लापरवाही बरती गयी और निदेशक ने उसे बेहद खतरनाक विस्फोटक पीईटीएन बता दिया था।
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एफएसएल की रिपोर्ट में इसकी पुष्टि होते ही लखनऊ समेत दिल्ली तक में हंगामा मच गया था। मुख्यमंत्री ने इसकी जांच एनआईए से कराने के साथ ही जहां खतरनाक विस्फोटक को विधानसभा तक पहुंचाने वाले के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की बात कही थी। वहीं विरोधी दलों ने भी इस मामले को प्रदेश सरकार की कानून-व्यवस्था संभालने की नाकामी से जोड़ते हुए हमला बोला था।
वहीं बाद में आगरा की प्रयोगशाला ने पीईटीएन की पुष्टि करने से इंकार कर दिया था। लेकिन सरकार ने आगरा लैब की रिपोर्ट को नकार दिया था। जिसके बाद हैदराबाद स्थित सीएफएसएल ने कथित पाउडर की विस्तृत जांच करते हुए फाइनली इसे सिलिकॉन ऑक्साइड बताया था। सीएफएसएल की रिपोर्ट के बाद एसबी उपाध्याय को निलंबित किया गया था। निलंबन की अवधि में ही आज उनकी सेवा भी समाप्त कर दी गयी। वहीं शीतकालीन सत्र में आज एक बार फिर कथित विस्फोटक को लेकर विरोधी दलों ने हंगामा किया।
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