व्‍यापारी के बचाव में रेलमंत्री के उतरने से सवालों के घेरे में आई केंद्र सरकार: राजबब्‍बर

राजबब्बर
प्रेसवार्ता में अपनी बात रखते राजबब्बर।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी पर किए गए एक न्‍यूज पोर्टल के खुलासे के बाद विरोधियों के लगातार हमले जारी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष राजबब्‍बर ने आज प्रदेश मुख्‍यालय पर प्रेसवार्ता कर न सिर्फ भाजपा और उनके नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए बल्कि कई सवाल भी उठाएं।

प्रदेश अध्‍यक्ष ने कहा कि भाजपा मंदिर बनाने का वादा करके सत्ता में आई थी, लेकिन ऐसा मंदिर ‘टेम्पल इण्टरप्राइजेज’ बना दिया जो सिर्फ लूट खसोट करके अपनी संपत्ति बढ़ाने में लगी रही। रेल मंत्री पियूष गोयल पर हमला बोलते हुए कहा कि कम से कम एक केंद्रीय मंत्री को एक निजी व्‍यापारी के बचाव में नहीं आना चाहिए था ऐसा होने से पूरी केंद्र सरकार सवालों के घेरे में आ गयी है।

राजबब्‍बर ने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि रेल मंत्री पीयूष गोयल जब बिजली मंत्री थे तब उन्होंने स्टाक मार्केट में डील करने वाली इस कम्पनी को सौर ऊर्जा का प्रोजेक्ट दिया था, जबकि सौर ऊर्जा में इस कम्पनी का कोई अनुभव नहीं था। सवाल उठता है कि क्या ऊर्जा मंत्रालय ने कभी किसी सामान्य व्यापारी के साथ भी ऐसी दरियादिली का प्रदर्शन किया है।

प्रेसवार्ता के माध्‍यम से राजबब्‍बर ने उठाएं ये सवाल-

देश की जनता जानना चाहती है कि टेम्पल इण्टरप्राइजेज प्राईवेट लिमिटेड जो अमित शाह की धर्म पत्नी, पुत्र वधू व पुत्र जय शाह की कम्पनी है ऐसा क्या व्यापार करती थी जो जिससे उनका कारोबार 16000 गुना बढ़ गया।

16000 गुना बढ़े कारोबार वाली इस कंपनी को अक्टूबर 2016 में नुकसान दिखाकर बन्द करने की नौबत आ गयी। क्या आयकर विभाग की जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि वह ऐसी संदिग्ध स्थिति में बन्द होने वाली कम्पनी को नोटिस देकर जांच करते? उन्होंने कहा कि जनता यह भी जानना चाहती है कि उक्‍त कंपनी के एक कमरे के कार्यालय में ऐसी क्या सुविधाएं थीं जिसका किराया 80 लाख रूपये दिखाया गया।

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कंपनी के खातों में दर्शाया गया है कि 51 करोड़ की राशि विदेशों से आयी थी। जनता जानना चाहती है कि ऐसी कौन सी खरीद फरोख्त या व्यवसाय कौन से लोगों से और किन-किन देशों में किया गया जिससे करोड़ों रूपये विदेश से कंपनी के खाते में आया? क्या करोड़ों की राशि विदेशों से कम्पनी के खाते में आने पर किसी सरकारी एजेंसी के कान क्‍यों नहीं खड़े हुए।

कंपनी को केआईएसएफ फाइनेन्शियल सर्विसेज द्वारा 15.78 करोड़ रूपये का ‘अन सेक्योर्ड लोन’ दिया गया। जबकि केआईएसएफ के मालिक राजेश खण्डवाला हैं जो अम्बानी समूह के गुजरात के कर्ताधर्ता परिमल मथवानी के समधी हैं। इस तरह के लोन केआईएसएफ ने किसी और कंपनी को दिया या फिर नहीं। इसके अलावा भी प्रदेश अध्‍यक्ष ने कई आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले में बिना किसी देरी के जांच होने के साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

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