आयू ब्यूरो
लखनऊ। बीती रात काकोरी की हाजी कालोनी में एटीएस के इनकाउंटर में मारे गए आईएसआईएस के कथित आतंकी सैफुल्लाह उर्फ अली की लाश लेने से घरवालों ने मना कर दिया। कानपुर के जार्जमऊ निवासी सरताज अहमद ने मीडिया से कहा कि हम लोगों ने सबकुछ न्यूज में देखा है।
उसने जो काम किया है वह अच्छा नहीं है। उसने देश हित का काम नहीं किया है। इसके बाद हम उसे यहां लाकर भीड़ लगवाएं तमाशा करवाएं यह ठीक नहीं है।
बाद में एक चैनल से बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि जो देश का न हुआ वह हमारा क्या होगा।
यह भी पढ़े- एटीएस से मुठभेड़ में मारा गया सैफुल्लाह, ISIS का झंडा, भारी मात्री में हथियार मिले
घर से थप्पड़ खाकर निकला था ढाई महीना पहले
छोटा-मोटा काम करने वाले सरताज ने बताया कि ढाई महीना पहले उन्होंने काम नहीं करने पर बेटे को यह कहते हुए डांट दिया था कि तुम काम नहीं करते हो, तुम्हें अपने घर से भगा दूंगा। गुस्से में एक दो कंटाप (थप्पड़) भी मार दिए थे। उसके बाद वह घर से चला गया।
…न जाने कैसी सोहबत में आ गया
अली के पिता ने कहा कि वह पहले ऐसा नहीं था, लेकिन घर से जाने के बाद न जाने कैसी सोहबत में आ गया। किन लोगों से मिला कि ऐसा काम कर बैठा।
यह भी पढ़े- राजधानी में देर रात तक संदिग्ध आतंकी से ATS की मुठभेड़ जारी
इस बीच हमारी उससे बातचीत भी नहीं हुई थी। हालांकि हाल में उसने एक बार फोन कर कहा कि पापा जी हमारा वीजा आ गया है, हम सऊदी जा रहे हैं, तो हमने कहा ठीक है जाइए आप।
बड़े भाई ने कहा, अधिकारियों ने नहीं किया होगा गलत काम
मुठभेड़ की सत्यता पर बात करते हुए सैफुल्लाह के बड़े भाई खालिद ने टीवी पर इंनकाउंटर का समाचार देखे जाने की बात कही। खालिद का कहना था कि इतने बड़े-बड़े अधिकारी हैं, जिन्होंने ये सब किया कोई गलत नहीं किया होगा।
ऐशाबाग स्थित कब्रिस्तान दफन की गई लाश
पोस्टमॉर्टम के बाद रात में ऐशबाग स्थित कब्रिस्तान में सैफुल्लाह की लाश को दफनाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा। हालांकि ऐशबाग के इमाम भी शव को जगह देने के पक्ष में नहीं थे, पुलिस के काफी समझाने के बाद वह इसके लिए तैयार हुए।
संस्था करेगी लाश को सुपुर्दे खाक
इससे पहले सैफुल्लाह की लाश केजीएमयू की मॉच्युरी में शाम साढ़े पांच बजे तक रखी थी। डॉक्टर उसके पोस्टमॉर्टम की तैयारी कर रहे थे। इंस्पेक्टर काकोरी ने बताया कि घरवालों के नहीं आने के चलते शव के पोस्टमॉर्टम के बाद उसे लवारिस लाशों को सुपुर्दे खाक करने वाली संस्था को सौंप दिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि आमतौर पर खामोश रहने वाला सैफुल्लाह शुरू से ही पढ़ाई में तेज होने के साथ ही नमाज भी पढ़ता था। बी कॉम थर्ड ईयर के दौरान एक बार किसी लड़की को लेकर उसका झगड़ा हो गया था।
जिसके बाद उसने मोहल्ले में ही हवाई फायरिंग की थी। करीब 23 साल का अली कब और कैसे खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस के संपर्क में आ गया। इस पर घरवालें भी हैरान हैं।
एडीजी ने कहा नहीं मिले आईएसआईएस से जुड़े होने के सबूत
वहीं दूसरी ओर शाम को प्रेसवार्ता कर एडीजी कानून-व्यवस्था दलजीत चौधरी ने बताया कि फिलहाल सैफुल्लाह के आतंकी संगठन आईएसआईएस से होने का कोई सबूत नहीं मिला है।
जांच के बाद यह सामने आया है कि वह आतंकी संगठन से प्रभावित जरूर था। उनका कहना था कि युवा सोशल मीडिया के माध्यम से आतंकी संगठनों के संपर्क में आ रहे है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने उस आशंका को भी खारिज कर दिया जिसमे कहा जा रहा था कि कथित आतंकी बाराबंकी की देवा शरीफ समेत प्रदेश की अन्य दरगाहों को निशाना बनाने की फिराक में थे। इस बारे में एडीजी का कहना था कि अभी तक न तो ऐसा कोई सबूत मिला है, और न ही किसी ने इस बारे में बयान दिया है।