NHM भर्ती गड़बड़ी पर योगी सरकार ने महाप्रबंधक को किया सस्‍पेंड

जज लोया केस
फाइल फोटो।

आरयू ब्‍यूरो,

लखनऊ। योगी सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्‍थ्य मिशन (एनएचएम) भर्ती में हुई गड़बड़ी पर बड़ी कार्रवाई की है। इस पूरे मामले का जिम्‍मेदार महाप्रबंधक संदीप सक्‍सेना को सस्पेंड पर दिया गया है। दरअसल, 4688 भर्तियों में भारी गड़बड़ी सामने आई है। इसमें तीन और आठ  अंक वाले का तो चयन हो गया, लेकिन 18 और 64 नंबर पाने वाले अभ्यर्थी चयन सूची से बाहर कर दिया गया था।

इस बात की जानकारी लगते ही अभ्यर्थियों ने सवाल उठाए तो एनएचएम के अफसरों ने यह कहकर मामले को ठंडा करना चाहा कि यह अंतिम चयन सूची नहीं है। इतना ही नहीं नया रिजल्ट 24 घंटे बाद जारी होने की बात कही जा रही है। वहीं इस गड़बड़ी पर प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्‍थ्य और चिकित्सा स्वास्‍थ्य मंत्री सिद्घार्थनाथ सिंह ने कहा कि एचआर स्तर से लापरवाही हुई है। बिना कट ऑफ के रिजल्ट जारी कर दिया गया था। अब सही किया जा रहा है। लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

यह भी पढे़ं- वॉयल में नहीं प्रिजर्व हो रहा विसरा, CMO व केजीएमयू प्रशासन एक दूसरे पर डाल रहे जिम्‍मेदारी

मालूम हो कि एनएचएम ने 22 जुलाई को एएनएम, स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन, लैब अटेंडेंट व पीआरओ की भर्तियों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। 5 नवंबर को परीक्षा होने के पश्‍चात 22 दिसंबर को रिजल्ट घोषित हो गया। इसमें तीन और आठ अंक वाले का तो चयन हो गया, लेकिन 18 और 64 नंबर पाने वाले अभ्यर्थी चयन सूची से बाहर कर दिया गया था। अभ्‍यर्थियों के सवाल करने पर यह मामला प्रकाश में आया।

एएनएम 2809, स्टाफ नर्स 1386, लैब टेक्नीशियन 409, लैब अटेंडेंट 66, पीआरओ 18 पदों पर भर्ती होनी थी। एनएचएम के महाप्रबंधक एचआर संदीप सक्सेना ने दावा किया कि जिस एजेंसी को परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी गई थी, उसका चयन भारत सरकार ने किया है। इसलिए किसी गड़बड़ी की संभावना नहीं है।

यह भी पढे़ं- लाशों के लिए मुर्दा हुआ KGMU प्रशासन, 20 महीने में सड़ चुके हैं 3 हजार शव

जो परिणाम अभी जारी किए गए हैं वह अंतिम नहीं हैं। स्क्रीनिंग के बाद 24 घंटे के अंदर अंतिम मेरिट सूची जारी की जाएगी। एनएचएम ने अपना बचाव में तर्क दिया कि जिलेवार मेरिट बनाई गई है। हर जिले में अलग-अलग कार्यक्रम जैसे बाल स्वास्‍थ्य, नॉन कम्युनिकेबल डिजीज आदि के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। कई जनपदों में पद अधिक थे और आवेदन कम इसलिए वहां मेरिट काफी कम की गई है।