आरयू ब्यूरो, लखनऊ। पीएसी जवानों को प्रमोशन ना देने के निर्णय को लेकर शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी जाहिर की है और अधिकारियों को फटकार लगाई है। उन्होंने पीएसी जवानों को तत्काल प्रमोशन देने के दिए आदेश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से दो टूक कहा दिया है कि वह पुलिस जवानों का मनोबल गिराने वाला कोई निर्णय बर्दाश्त नहीं करेंगे।
साथ ही सिविल पुलिस से पीएसी में वापस भेजे गए तो जवानों के डिमोशन की बात जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पता लगी तो योगी ने नाराजगी जताते हुए डीजीपी को निर्देश दिए कि इन सभी 900 जवानों को तुरंत प्रमोशन किया जाए। सीएम ने शासन को निर्देश दिए कि जिस अधिकारी ने बिना सरकार के संज्ञान में लाए यह फैसला लिया उसके खिलाफ जांच कर रिपोर्ट दें और सख्त कार्रवाई की जाए।
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बताते चलें कि 2008 से पूर्व पीएसी जवानों को सिविल पुलिस में स्थानांतरण होता था, इसके तहत कुल 932 पुलिसकर्मी पीएसी से सिविल पुलिस में आए। उनमें 890 कांस्टेबल्स को हेड कांस्टेबल के पद पर प्रमोट किया गया, छह को सब इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नति मिली, 22 कांस्टेबल के पद पर ही रहे और 14 की मृत्यु हो गई। पीएसी के जिन जवानों को सब इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन नहीं मिला उन्होंने अदालत का रुख किया। अदालत ने इस मामले पर डीजीपी मुख्यालय से जवाब मांगा।
अदालत को दिए अपने जवाब में डीजीपी मुख्यालय ने इस स्थानांतरण के आदेश को ही गलत बता दिया। जवाब में डीजीपी मुख्यालय की ओर से कहा गया कि पीएसी व सिविल पुलिस दो अलग-अलग सुरक्षाबल हैं। पूर्व में पीएसी से कुछ लोगों की ड्यूटी सिविल पुलिस में लगाई गई थी, जिसे काडर ट्रांसफर नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसका न तो कोई शासनादेश है और न ही किसी नियमावली में प्राविधान। इसके बाद इन सभी जवानों को पीएसी में अपने पुराने पदों पर ही वापस आना पड़ा। यानी सिविल पुलिस में ट्रांसफर के दौरान जो उनका प्रमोशन हुआ था वह रद्द हो गया।