आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की चेतावनी के बाद भी भ्रष्टाचार करना बुधवार को कृषि विभाग के नौ सीनियर अधिकारियों को भारी पड़ गया है। यूपी में मृदा परीक्षण (मिट्टी जांच) के नाम पर गड़बड़ी करने वाले दो संयुक्त निदेशक, पांच उप निदेशक तथा दो सहायक निदेशक स्तर के अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। वहीं इस मामले में शामिल चार कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड करने के साथ ही इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने व एक कंपनी को किए गए भुगतान को वापस लेने का भी आदेश दिया गया है।
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इस बात की जानकारी आज कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक प्रेसवार्ता में दी है। उन्होंने मीडिया को बताया कि ये कार्रवाई मृदा परीक्षण के लिए जांच एजेंसी के चयन में टेंडर की शर्तें भारत सरकार के दिशा-निर्देश के अनुरूप न होने, अनियमितता पाये जाने तथा फर्म विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तों में फर्म विशेष को ध्यान में रखकर शर्तें डालने पर की गयी है।
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कृषि उत्पादन आयुक्त की जांच में हुई पुष्टि
आउटसोर्सिंग से स्वायल हेल्थ कार्ड बनाने में हुई अनियमितता की जांच कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार से कराई गई थी। जांच में टेंडर के स्तर पर भी अनियमितता की पुष्टि हुई है। अब केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार नए सिरे से टेंडर कराए जाएंगे। शिकायतें मिलने के बाद उन जिलों में भुगतान रोक दिया गया था, जहां अभी तक भुगतान नहीं हुए थे। बरेली, अलीगढ़ व मुरादाबाद में टेंडर फाइनल हो गए थे।
भ्रष्टाचारियों के लिए पहले भी डरावना सपना साबित हुए हैं प्रभात कुमार
यहां बताते चलें कि इस मामले की जांच करने वाले कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) प्रभात कुमार की छवि योगी सरकार में बेहद सख्त के साथ ही ईमानदार आइएएस अधिकारी की भी है। ये पहला मौका नहीं है जब प्रभात कुमार की जांच पर कार्रवाई हुई हो। इससे पहले भी वो मेरठ, गाजियाबाद व अन्य शहरों में कई बार भ्रष्ट अफसर व इंजीनियरों के लिए बुरा सपना साबित हो चुके हैं। कहा ये भी जा रहा है कि प्रभात कुमार के अलावा किसी अन्य अफसर को इस मामले की जांच दी गयी होती तो शायद इतने बड़ें स्तर पर कार्रवाई की नौबत ही नहीं आती।
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इन अफसरों पर गिरी गाज
सूर्यप्रताप शाही ने बताया कि कार्रवाई होने वाले अधिकारियों में पंकज त्रिपाठी, संयुक्त कृषि निदेशक (शोध एवं मृदा सर्वेक्षण), कृषि निदेशालय, लखनऊ, विनोद कुमार, उप कृषि निदेशक, बरेली, (साल 2017-18 व 2018-19 में बरेली मण्डल की निविदा समिति के अध्यक्ष), डॉ. अशोक कुमार, उप कृषि निदेशक, मुरादाबाद (साल 2017-18 व 2018-19 में मुरादाबाद मण्डल की निविदा समिति के अध्यक्ष), जुगेंद्र सिंह राठौर, संयुक्त कृषि निदेशक, अलीगढ़ (साल 2018-19 में अलीगढ़ मण्डल की निविदा समिति के अध्यक्ष), राजीव कुमार, उप कृषि निदेशक सहारनपुर (साल 2018-19 में सहारनपुर मण्डल की निविदा समिति के अध्यक्ष), राम प्रताप, उप कृषि निदेशक, झांसी (साल 2018-19 में झांसी मण्डल की निविदा समिति के अध्यक्ष), सुरेश चंद्र चौधरी, उप कृषि निदेशक, मेरठ (साल 2017-18 व 2018-19 में मेरठ मण्डल की निविदा समिति के अध्यक्ष), श्रीदेव शर्मा, उप कृषि निदेशक/प्रभारी, सहायक निदेशक (मृदा परीक्षण/कल्चर), अलीगढ़ तथा संजीव कुमार, सहायक निदेशक (मृदा परीक्षण/कल्चर), बरेली शामिल हैं।
ये कंपनियां भी नहीं बचीं
इसके अलावा योगी सरकार के प्रकोप के दायरे में चार कंपनियां भी आयीं हैं। सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि मेसर्स यश साल्यूसंस, मेसर्स सिद्धि विनायक, मेसर्स सतीश कुमार अग्रवाल तथा मेसर्स सरस्वती सेल्स को टेंडर में फर्जी दस्तावेज लगाने तथा विभागीय अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर टेंडर हासिल करने पर ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। साथ ही इन कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। इतना ही नहीं साल 2018-19 में बरेली में एस. साल्यूसंस को भुगतान की गयी धनराशि की वसूली कराने के भी आदेश दिए गए हैं।
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