आरयू ब्यूरो,लखनऊ/बागपत। उत्तर प्रदेश में कल यानी तीन मार्च को छठे चरण की वोटिंग होनी है। जिसके लिए पार्टियों ने तैयारियां कर ली है। अब राजनीतिक दल बचे यानी सातवें चरण के लिए ताकत झोंकना शुरू कर चुके हैं। इसी कड़ी में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत बड़ौत शहर के बावली रोड स्थित कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष चौधरी रामकुमार के आवास पर पहुंचे। यहां उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा।
टिकैत ने आगामी नौ मार्च को मतगणना स्थल पर ट्रैक्टर लेकर डेरा डालने का किसानों से आह्वाहन कर कहा कि कपड़े-बिस्तर लेकर लोग एक दिन पहले ही मतगणना स्थल पर पहुंच जाए, क्योंकि दस तारीख को तो उन्हें वहां तक जाने भी नही दिया जाएगा। उन्होंने आशंका जताई है कि मतगणना में गड़बड़ी की जा सकती है। वहीं यूक्रेन रूस युद्ध मामले पर मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार युद्ध में भी वोट तलाश रही है। उसका नाम ऑपरेशन गंगा दिया गया है।
जो सरकार के पक्ष में बोलता है सिर्फ उस छात्र को दिखाया जा रहा
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत सरकार यूक्रेन में युद्ध में भी वोट तलाश कर रही। वहां फोटो सेशन चल रह है जो सरकार के पक्ष में बोलता है सिर्फ उस छात्र को दिखाया जाता है। जो असलियत बता रहे हैं उसे नहीं दिखा रहे हैं। टिकैत ने सरकार से सवाल किया कि क्या यह समय भी छात्रों से पैसा कमाने का है। भारत सरकार के लिए चुनाव पहले था या भारत के बच्चे।
किंग जोंग भारत में पैदा…
यही नहीं किसान आंदोलन पर कहा कि 13 माह का आंदोलन चला है। 22 जनवरी 21 को भारत सरकार से आखिरी बातचीत हुई है उसके बाद बात नहीं हुई। समझौता लिखित में हुआ है। क्या देश में तानाशाही सरकार चाहिए। सरकार तो पहले भी होती थी वे मिलती थी। बात करती थी अगर सरकार किसी पार्टी की होती तो वह अवश्य बातचीत करती। क्या देश कोरिया की ओर बढ़ रहा है। क्या दुनिया का किंग जोंग भारत में पैदा होगा। ये देश की जनता को नहीं चाहिए।’
बड़े आंदोलन की जरूरत
उन्होंने कहा कि किसानों की फसलें भी डिजिटल इंडिया कैंपेन से जोड़ दी जाएं तो हमारा गन्ने का भुगतान भी हो जाए। बेल्ट में है एक साल से गन्ने का भुगतान नहीं हुआ है। कई ऐसी शुगर फैक्ट्रियां होगी, लेकिन चुनाव के दौरान भुगतान दस दिन में या 15 दिन में भी हुआ है मेरा मतलब यह है कि सरकार जब चाहे भुगतान करवा सकती है। यदि चुनाव हर साल हो जाएंगे तो गन्ने का भुगतान भी हर साल हो सकता है। देश में एक बड़े आंदोलन की जरूरत है उससे कुछ बदलाव हो सकता है।
राकेश टिकैत ने गन्ना भुगतान पर कहा कि किसानों की फसलें भी डिजिटल इंडिया कैंपेन से जोड़ दी जाए तो गन्ने का भुगतान भी समय से हो जाए। गन्ना बेल्ट में एक साल से गन्ने का बकाया भुगतान नहीं हुआ है। कई ऐसी चीनी मिल भी हैं, जिन्होंने चुनाव के दौरान भुगतान 10 या 15 दिन में भी किया है। सरकार जब चाहे भुगतान करवा सकती है। यदि चुनाव हर साल हो जाएंगे तो गन्ने का भुगतान भी हर साल हो सकता है, इसलिए देश में एक बड़े आंदोलन की जरूरत है उससे कुछ बदलाव हो सकता है। इतना ही नहीं राकेश टिकैत कहते है कि 9 मार्च को मतगणना स्थल के आसपास ट्रैक्टर लेकर पहुंच जाना। सरकार ने जो जिला पंचायत में किया है उसे नरंदाज नहीं किया जा सकता है।