16 साल से प्‍लॉट के लिए भटक रहे दंपत्ति का LDA की जनता अदालत में छलका दर्द, “कहा, जान देने के बाद ही लगता है होगी रजिस्‍ट्री”

वीसी को आप बीती सुनाते पीड़ित पति-पत्‍नी।

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। कभी रिश्‍वत नहीं मिलने पर इंजीनियरों ने मकान ढहाया तो कभी पैमाइश के दौरान फरमाइश नहीं पूरी होने पर अर्जन के अमीन ने लटकाया तो कभी दौड़ाने की शिकायत पर बाबू ने फाइल गायब कर दी नियम सिखाने की धमकी। इन सबसे बचकर निकलने में एक दंपत्ति के जिंदगी के करीब डेढ़ दशक निकल गए तो अब अधिकारियों ने विस्‍थापित कोटे में प्‍लॉट की रजिस्‍ट्री करने में हीला-हवाली शुरू कर दी। एलडीए के भ्रष्‍टाचार, मनमानी व लापरवाही से जूझने वाले महेश प्रसाद व उनकी पत्‍नी चंद्रकला जनता अदालत में आज कुछ ऐसा ही दर्द बयान करते हुए रो पड़े।

चंद्रकला ने कहा कि अपना आशियाना बनाने की उम्‍मीद में 16 सालों से एलडीए के भ्रष्‍ट सिस्‍टम से लड़ते-लड़ते वह लोग अब थक चुके हैं, ऐसा लगता है कि उनके जान देने के बाद ही एलडीए प्‍लॉट की रजिस्‍ट्री करेगा। वहीं एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी ने दंपत्ति की शिकायत सुनने के साथ ही इस पूरे मामले की जांच तहसीलदार अर्जन शशिभूषण पाठक को सौंपते हुए कार्रवाई करने को कहा है। साथ ही वीसी ने आज यह भी निर्देश दिया है कि सभी संवेदनशील प्रकरणों के निस्तारण के लिए खुद संबंधित विशेष कार्याधिकारी भी मौके पर जाकर जांच करेंगे।

यह है पूरा मामला

महेश प्रसाद ने बताया कि वह लोग मखदूमपुर गांव के मूल निवासी हैं। साल 2000 में एलडीए ने उनकी गांव व आसपास की जमीनों का अधिग्रहण कर लिया था। उन्‍होंने आरोप लगाते हुए कि साल 2003 में प्‍लॉट दिलाने के एवज में अर्जन के एक अमीन ने उनसे पांच लाख की डिमांड की थी, जिसे पूरा नहीं करने पर उनके मामले को लटका दिया गया, जबकि आसपास के लोगों को वहीं पर प्‍लॉट आवंटित कर दिया गया।

इसके बाद उनके घर पर जेसीबी नहीं चलाने के एवज में एलडीए के एक स्‍थानीय जेई ने भी उनसे रिश्‍वत मांगी थी, लेकिन पैसों के आभाव में वह जेई की भी लाखों रुपए वसूलने की मंशा पूरा नहीं कर सके और फिर बिना किसी सूचना के ही उनके मकान को 2003 में गिरा दिया गया, जबकि कुछ लोगों के घरों को छोड़ दिया गया।

समय बीतने के साथ ही भाग-दौड़ करने पर उनको साल 2010 में गोमतीनगर के सेक्‍टर एक में करीब हजार वर्ग फीट का प्‍लॉट एलडीए ने दिया, लेकिन कुछ समय बाद प्‍लॉट की फाइल ही एलडीए से गुम कर दी गयी। सालों अधिकारी व बाबूओं के चक्‍कर काटने के बाद उन्‍होंने थक-हारकार कोर्ट और मुख्‍यमंत्री के पोर्टल का सहारा लिया। कुछ महीना पहले ही शिकायत व कोशिश रंग लाई तो फाइल गुम होने की बात कहने वाला बाबू ही प्‍लॉट से जुड़े कागज तो समाने लाया, लेकिन शिकायत से नाराज होकर उन्‍हें नियम-कानून सिखाने की बात कहकर धमकाने लगा।

महेश प्रसाद ने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि फाइल मिलने पर इन सबसे किसी प्रकार उन्‍होंने बचते हुए पिछले महीने ही प्‍लॉट का कुछ बकाया पैसा भी उन्‍होंने एलडीए में जमा कर दिया, लेकिन अब एक बार फिर से एलडीए के अधिकारी सुविधा शुल्‍क नहीं मिलने की वजह से प्‍लॉट पर कब्‍जा होने के बाद भी उसकी रजिस्‍ट्री नहीं कर रहें हैं, जबकि उनके पड़ोसियों को न सिर्फ विस्‍थापित कोटे के तहत प्‍लॉट मिल गया, बल्कि वह रजिस्‍ट्री कराने व मकान बनवाने के साथ ही सालों से उसमें रह भी रहें हैं।

बाबू ने करा दिया मकान पर अवैध कब्‍जा, न्‍याय नहीं मिला तो सीएम आवास पर दूंगी धरना

वहीं अपने पति के साथ जनता अदालत में पहुंची सावित्री देवी ने वीसी से गुहार लगाते हुए कहा कि उसे बसंत कुंज आश्रय हीन योजना में मकान संख्‍या 2/357 आवंटित किया गया था। सावित्री ने पूर्व में योजना देखने वाले बाबू शैलेंद्र श्रीवास्‍तव पर आरोप लगाते हुए कहा कि उससे बाबू ने 50 हजार रुपए की मांग की थी, रिश्‍वत नहीं दिए जाने पर बाबू ने ही मकान पर अवैध कब्‍जा करा दिया है। अपने प्रार्थना पत्र में सावित्री ने यह भी कहा कि अगर उनको न्‍याय नहीं मिला तो वह मुख्‍यमंत्री आवास पर अपने परिवार के साथ धरना देंगी।

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इसके अलावा एक अन्‍य आवंटी रमेश चंद्र केसरवानी ने जनता अदालत में गुहार लगाते हुए कहा कि उसे एलडीए की ओर से विराम खंड स्थित भवन संख्‍या  4/181 आवंटित किया गया था। रमेश चंद्र का आरोप था कि सभी किश्‍त जमा करने के बाद भी योजना का काम देखने वाले बाबूओं ने उनके का आवं‍टन कर किसी और को आवंटित कर दिया।

आधे घंटे पहले बंद किया काउंटर, आवंटियों ने किया हंगामा

वहीं आज जनता अदालत का टोकन काउंटर आधे घंटा पहले दोपहर डेढ़ बजे ही बंद कर दिया गया। इस दौरान एलडीए वीसी व सचिव समेत अन्‍य अफसर जनता अदालत में सुनवाई कर ही रहे थे कि लाइन में खड़े आवंटियों ने बिना टोकन काटे ही काउंटर बंद किए जाने को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। करीब दस मिनट चले हंगामे के बाद काउंटर को एक बार फिर शुरू किया गया, हालांकि दोपहर दो बजे काउंटर फिर बंद कर दिया गया।

लाइन में लगे आवंटी मायूस हो लौटे

ठीक दो बजे काउंटर बंद होने व टोकन नहीं कटने के चलते लाइन में लगे दारुलशफा स्थित दुकान की रजिस्‍ट्री नहीं होने की शिकायत लेकर आए मोहम्‍मद आसिफ व जानकीपुरम के सेक्‍टर एच में स्थित मकान में कब्‍जे नहीं मिलने की फरियाद करने आए अनिल अरोरा समेत दूर-दराज से आए कई अन्‍य फरियादी मायूस होकर लौट गए।

महीने में दो दिन लगती थी जनता अदालत-प्राधिकरण दिवस

बताते चलें कि पूर्व में महीना में दो दिन जनता अदालत व प्राधिकरण दिवस लगाया जाता था। साल 2018 में एलडीए के तत्‍कालीन वीसी ने यह आदेश पारित करते हुए दोनों को मर्ज कर दिया था कि प्राधिकरण दिवस/जनता अदालत अब सिर्फ हर महीने के तीसरे गुरुवार को शाम तक लगेगी, लेकिन जिम्‍मेदारी से बचने के लिए अफसरों ने बाद में इसका टाइम घटाकर दोपहर दो बजे तक ही सीमित कर दिया था, जो आज तक बरकार है। आज वापस लौटने पर आवंटियों ने नए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी से उम्‍मीद जताई है कि पहले की तरह जनता अदालत व प्राधिकरण दिवस को अलग-अलग दिन में एलडीए में आयोजित कराएंगे।

अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि जनता अदालत में आज 58 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 12 प्रकरणों का मौके पर निस्तारण किया गया। बाकी के मामलों के निपटारे के संबंध में वीसी ने द्वारा समय सीमा निर्धारित करते हुए सम्बंधित अधिकारियों को कार्यवाही के लिए निर्देशित किया गया है।

जनता अदालत में एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी व सचिव पवन कुमार गंगवार के अलावा अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा, नजूल अफसर अरविंद कुमार त्रिपाठी, ओएसडी अरुण कुमार सिंह, अमित कुमार राठौर, राम शंकर, डीके सिंह, तहसीलदार विवेक शुक्‍ला, शशिभूषण पाठक व श्रद्धा चौधरी समेत अन्‍य अफसर-कर्मी मौजूद रहें।