आरयू फॉलोअप, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण व भ्रष्टाचार का साथ लंबे अर्से से चोली-दामन का माना जाता रहा है, लेकिन हालात इससे भी आगे बढ़ते दिखाई दे रहें। दरअसल भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों के खुलने पर अधिकारियों की नींद टूटती थी और कार्रवाई भी होती थी, पर अब कम से कम गोमतीनगर के 22 प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री कर बेचने के मामले में ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा।
एलडीए की साख पर बट्टा लगाने के साथ ही करीब 30 करोड़ की आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले इस बेहद गंभीर मामले को लगभग सालभर से दबाए व 20 दिनों पहले ‘राजधानी अपडेट’ द्वारा उठाने पर अफसरों के कार्रवाई के दावे अब तक कागजों से बाहर नहीं निकल सकें हैं।
वहीं सूत्रों की मानें तो 22 में 17 प्लॉट की डिटेल एलडीए की वेबसाइट व आठ की डिस्पोजल रजिस्ट पर भी दर्ज कर दी गयी थी। फर्जी रजिस्ट्री कर प्लॉट बेचने पर जालसाजों के अलावा रिकॉर्ड दर्ज करने के मामले में करीब आधा दर्जन से ज्यादा एलडीए के भी कर्मचारी फंस रहें हैं।
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जिनमें से एक बाबू एलडीए के एक बड़े अफसर का ‘अर्निंग हैंड’ के तौर पर पहचाना जाता है। प्रापर्टी अनुभाग में सालों से तैनात यह बाबू एलडीए के प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री व समायोजन के खेल में माहिर होने के साथ अधिकारियों के आदेशों व चेतावनी को ठेंगे पर रखकर नौकरी करने के लिए भी जाना जाता है। इसी बाबू ने 22 में से सबसे अधिक प्लॉट के फर्जी रजिस्ट्री की डिटेल भी एलडीए के रिकॉर्ड में दर्ज की है।
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वहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि ‘अर्निंग हैंड’ को खतरे में पड़ता देख सबकुछ जानने के बाद भी अधिकारी न सिर्फ फर्जी रजिस्ट्री करने वालों पर कार्रवाई करने से बच रहें हैं, बल्कि अपने प्लॉट तक पर कब्जा नहीं ले रहें।
एलडीए के ओएसडी अमित राठौर ने बताया कि वकील द्वारा 16 प्लॉट के फर्जी रजिस्ट्री की कॉपी मिल गयी है। अन्य छह की डिटेल रजिस्ट्री कार्यालय में नहीं मिल सकी है। सभी की डिटेल तैयार कराई जा रही है। इसमें जो भी लोग शामिल है उन सबके खिलाफ दो से तीन दिन में मुकदमा दर्ज कराकर अपने प्लॉट पर कब्जा लेने की कार्रवाई भी शुरू की जाएगी।