LDA की जनता अदालत में बोला आवंटी, 27 सालों में 68 बार दिया प्रार्थना पत्र फिर भी नहीं हुई आवास की रजिस्‍ट्री

जनता अदालत
फरियादियों की समस्याएं सुनते एलडीए के अफसर।

आरयू ब्‍यूरो, 

लखनऊ। लाख दावों के बाद भी दशकों से अपने काम के लिए दौड़ रहे आवंटी योगी सरकार में भी एलडीए के चक्‍कर लगाने को मजबूर हैं। गुरुवार को लखनऊ विकास प्राधिकरण में आयोजित जनता अदालत में पहुंचे आवंटी ने आवास की रजिस्‍ट्री के लिए 68वीं बार प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन आज भी उसे वहां से मायूस ही लौटना पड़ा।

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अलीगंज निवासी बीआर त्रिपाठी ने बताया कि एलडीए ने उसे 1988 में सेक्‍टर क्‍यू में एक ईडब्‍लूएस मकान आवंटित किया था। पैसा जमा करने के बाद उसे 1991 में एलडीए ने मकान पर कब्‍जा भी दे दिया। जिसमें वो आज तक अपने परिवार के साथ रह रहें हैं, लेकिन कब्‍जे के 27 साल बाद भी एलडीए द्वारा उसके मकान की रजिस्‍ट्री नहीं की जा रही है। जबकि आवास को लेकर किसी प्रकार का विवाद या कोई शिकायत तक नहीं है। ये बातें एलडीए की पूर्व में हुई जांच में भी साफ हो चुकी है।

20 हजार नहीं दिया तो बाबू ने गायब कर दी फाइल

बीआर त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि वर्ष 2007 में योजना का काम देख रहे बाबू मुक्कदस ने उनसे रजिस्‍ट्री कराने के एवज में 20 हजार रुपए की मांग की थी, जिसे पूरा नहीं करने पर बाबू ने उनकी फाइल ही गायब कर दी। करीब दो साल पहले वो बाबू सेवानिवृत्‍त भी हो गया, लेकिन अब तक एलडीए अधिकारियों को 68 बार प्रार्थना पत्र देने के बावजूद रजिस्‍ट्री नहीं हो सकी है। आज एलडीए उपाध्‍यक्ष को मामले से अवगत कराने पर उन्‍होंने जल्‍द ही कार्रवाई  का आश्‍वासन दिया है।

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51 में से पांच मामले हुए निस्‍तारित

कब्‍जा, रजिस्‍ट्री, फ्री होल्‍ड नहीं होने व अवैध निर्माण समेत अन्‍य शिकायतों को लेकर आज जनता अदालत में कुल 51 आवंटियों ने अधिकारियों के सामने गुहार लगायी। पीआरओ अशोक पाल सिंह के अनुसार जिनमें से पांच प्रार्थना पत्रों का मौके पर ही समाधान कर दिया गया। वहीं अन्‍य 46 मामलों के निस्‍तारण के लिए संबंधित अधिकारी व इंजीनियरों को कहा गया है।

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जनता अदालत के दौरान एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह, सचिव मंगला प्रसाद सिंह, अपर सचिव अनिल भटनागर, नजूल अधिकारी संजय पाण्‍डेय, ओएसडी राजीव कुमार, ओएसडी राजेश शुक्‍ला सहित अन्‍य अधिकारी व इंजीनियर मौजूद रहें।

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