इंफोसिस के को-फाउंडर के खिलाफ दर्ज हुआ SC-ST एक्ट के तहत मुकदमा

क्रिस गोपालकृष्णन

आरयू वेब टीम। कर्नाटक पुलिस ने इंफोसिस के को-फाउंडर सेनापति क्रिस गोपालकृष्णन और भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) के पूर्व निदेशक बलराम समेत 16 अन्य लोगों के खिलाफ एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

ये मामला बेंगलुरु के सदाशिव नगर पुलिस स्टेशन में 71वें सिविल और सेशन कोर्ट के निर्देश पर दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतकर्ता दुर्गाप्पा, जो बोवी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और आइआइएससी के सेंटर फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी में फैकल्टी मेंबर के रूप में काम कर चुके हैं, ने इन सभी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दुर्गाप्पा का कहना है कि उन्हें हनी ट्रैप के झूठे मामले में फंसाकर उनके खिलाफ साजिश रची गई और इसके बाद उन्हें आइआइएससी की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि इस दौरान उन्हें जातिवादी गालियां दी गईं और धमकाया गया।

दुर्गाप्पा ने आरोप लगाया कि इस साजिश में क्रिस गोपालकृष्णन, गोविंदन रंगराजन, श्रीधर वारियर, संध्या विश्वेश्वरैया, हरि केवीएस, दासप्पा, बलराम पी, हेमलता मिशी, चट्टोपाध्याय के, प्रदीप डी सावरकर और मनोहरन समेत कुल 18 लोग शामिल हैं, हालांकि आइआइएससी या क्रिस गोपालकृष्णन की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।क्रिस गोपालकृष्णन इंफोसिस के को-फाउंडर्स में से एक हैं और 2007 से 2011 तक कंपनी के सीईओ और एमडी के रूप में कार्य कर चुके हैं।

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इसके अलावा, 2011 से 2014 तक उन्होंने इंफोसिस के उपाध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। क्रिस गोपालकृष्णन को उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने 2011 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। उन्होंने आइआइटी मद्रास से फिजिक्स और कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। साथ ही, वे इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियर्स (आइएनएई) और भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियर्स इंस्टीट्यूट के फेलो भी हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला तब दर्ज हुआ है जब अदालत ने पुलिस को मामले की जांच के निर्देश दिए। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उच्च पदों पर बैठे इन लोगों ने उनके खिलाफ जातिगत भेदभाव और शोषण की कोशिश की। पुलिस अब इस मामले की जांच कर रही है।

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