विधानसभा उपचुनाव में वोट के लिए योगी सरकार ने 17 OBC जातियों को अनुसूचित की श्रेणी में किया शामिल: राजभर

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ओम प्रकाश राजभर (फाइल फोटो।)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल किए जाने के योगी सरकार के फैसले को केंद्र सरकार के मंत्री द्वारा भी असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने बुधवार को योगी सरकार पर निशाना साधा है। राजभर ने कहा है कि सरकार की मंशा सिर्फ विधानसभा उपचुनावों में वोट लेने की है।

ओमप्रकाश राजभर ने सोशल मीडिया के माध्‍यम से ट्वीट कर योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर सरकार वास्तव में इन 17 जातियों की हमदर्द है तो सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट तत्काल लागू करे। भर्तियों में ये अभ्यर्थी किस कोटे से आवेदन करेंगे? प्रदेश सरकार 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण बनाने का जो निर्देश दी हैं क्या सरकार यह बताएगी इस जाति प्रमाण पत्र से किन-किन क्षेत्रों में इन 17 जातियों को लाभ मिलेगा?

इतना ही नहीं राजभर ने सवाल करते हुए कहा कि जब मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, फिर असंवैधानिक तरीके से इन 17 जातियों को जाति प्रमाण पत्र देकर सरकार इन जातियों को मूर्ख क्यों बना रही है। सरकार जो विभिन्न विभागों में भर्ती करने जा रही है, उसमे इन जातियों को एससी के कोटे में या पिछड़ी जाति में नौकरी मिलेगी? सरकार स्पष्ट करे ताकि जो भर्ती होने जा रही है उसमें भ्रम की स्थिति न बनी रहे।

बताते चलें कि , केंद्र सरकार ने 17 ओबीसी जातियों को एससी कैटिगरी में शामिल करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को सरासर गलत करार दिया है। केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलौत ने कहा कि यूपी सरकार का फैसला संविधान के अनुरूप नहीं है, क्योंकि एससी, एसटी और ओबीसी की लिस्ट में बदलाव का अधिकार सिर्फ संसद को है।

यूपी में 24 जून को डीएम और कमिश्नरों को आदेश दिया था कि वे ओबीसी में शामिल 17 अति पिछड़ी जातियों- कश्यप, राजभर, धीवर, बिंद, कुम्हार, कहार, केवट, निषाद, भार, मल्लाह, प्रजापति, धीमर, बठाम, तुरहा, गोड़िया, मांझी और मचुआ को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी करें, इस पर कई दिनों से विवाद है।