आरयू वेब टीम।
कांग्रेस में बढ़त 2जी घोटाले में क्लीन चिट के बाद आज कांग्रेस के लिए एक और अच्छी खबर आयी है। आदर्श सोसाइटी घोटाला मामले में मुंबई उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल की मंजूरी को रद्द कर दिया है।
मालूम हो कि महाराष्ट्र के चर्चित आदर्श घोटाला मामले में उस समय नया मोड़ आ गया था, जब राज्यपाल ने मार्च में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दे दी थी। जनवरी के अंतिम सप्ताह में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दूसरी बार महाराष्ट्र के राज्यपाल को खत लिखकर आदर्श घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार सीबीआई के अलावा राज्य मंत्रिमंडल ने भी एक प्रस्ताव भेजकर गवर्नर विद्यासागर राव से गुजारिश की थी कि वह अशोक चव्हाण के खिलाफ कार्रवाई को अनुमति दें। अशोक चव्हाण उन 13 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें सीबीआई ने आदर्श घोटाले में चार्जशीट किया था।
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के कोलाबा में आदर्श हाउसिंग सोसायटी बनाई थी। यह 31 मंजिला पोश इमारत युद्ध में मारे गए सैनिकों की विधवाओं और भारतीय रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के लिए बनाई गई थी। वहीं सोसायटी बनने के कुछ सालों बाद एक आरटीआई से यह खुलासा हुआ कि तमाम नियमों को ताक पर रख सोसायटी के फ्लैट ब्यूरोक्रेट्स, राजनेताओं और सेना के अफसरों को बेहद कम दामों में बेचे गए हैं।
इस घोटाले का पर्दाफाश 2010 में हुआ। मामले में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को इस्तीफा देना पड़ा था। इतना ही नहीं 21 दिसंबर 2010 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि यह सीधे-सीधे धोखेबाजी का मामला है। इसके बाद कोर्ट ने सोसायटी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।
पर्यावरण नियमों को दरकिनार करने की वजह से केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सिफारिश की कि इस इमारत को तीन महीने के अंदर गिरा दिया जाए। मामले की जांच के लिए 2011 में महाराष्ट्र सरकार ने दो सदस्यीय न्यायिक कमिशन का गठन किया। इसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जेए पाटिल ने की। 2 साल तक इस समिति ने 182 से ज्यादा गवाहों से पूछताछ की और अप्रैल 2013 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।
पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री मौजूदा समय में पार्टी के सांसद हैं, और महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। इससे पहले कांग्रेस की सरकार के समय तत्कालीन गवर्नर के शंकरनारायणन ने इस मामले में सीबीआई को अनुमति देने से इंकार कर दिया था।
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