आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। समायोजन रद्द होने के बाद से तंगहाली और परेशानी के दौर से गुजर रहे शिक्षामित्रों ने बुधवार को एक बड़ा कदम उठाया है। ईको गार्डेन में दो महीने से ज्यादा समय से धरना दे रहे शिक्षामित्रों ने योगी सरकार के विरोध और सामायोजन रद्द होने के बाद से जान गंवाने वाले अपने सैकड़ों साथियों को श्रद्धांजलि देते हुए आज सामूहिक मुंडन कराया है।
आम शिक्षक/शिक्षामित्र एसोसिएशन की ओर से किए गए इस प्रदर्शन की सबसे खास बात ये रही कि मुंडन कराने वाले शिक्षामित्रों में एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष उमा देवी समेत दर्जनों शादी-शुदा महिलाएं भी शामिल रहीं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों के सामायोजन रद्द करने वाले फैसले के ठीक एक साल बाद आज सूबे की राजधानी में किए गए इस प्रदर्शन के दौरान हजारों शिक्षामित्रों ने योगी सरकार पर नाराजगी जताते हुए सरकार और भाजपा विरोधी नारेबाजी भी की।
प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाली उमा देवी ने कहा कि योगी सरकार शिक्षामित्रों के साथ न्याय नहीं कर रही है। जिसके चलते आज पुरुष शिक्षामित्रों के साथ ही सुहागिन महिलाओं तक को अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए मुंडन कराना पड़ा है। वहीं आए दिन शिक्षामित्रों की जानें जा रही है, ऐसी नाजुक स्थितियों को देखते हुए योगी सरकार उन लोगों की मांगों को पूरा करे।
पहले से तय था कार्यक्रम, पुलिस से भी हुई नोकझोंक
बताते चलें कि आम शिक्षक/शिक्षामित्र एसोसिएशन ने बीती 22 जुलाई को ही आज सामूहिक मुंडन और विरोध-प्रदर्शन का ऐलान कर दिया था। उनका कहना था इर्को गार्डेन में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हुए शिक्षामित्रों को दो महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन आज तक योगी सरकर ने उन लोगों की सुध नहीं ली।
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वहीं सामायोजन रद्द होने के बाद से अब 708 शिक्षामित्रों की असमय मौत हो चुकी है। जिनमें कुछ शिक्षामित्रों की अवसाद के चलते जान चली गयी, जबकि बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों ने आत्महत्या भी कर ली है। आज भी कहीं न कहीं से शिक्षामित्रों की मौत की खबर आ ही रही है।
शिक्षामित्रों के प्रदर्शन को देखते हुए आज पीजीआइ समेत कई थानों की पुलिस के साथ ही पीएसी के जवान इस दौरान मुस्तैद रहें। शिक्षामित्र ईको गार्डेन से निकलकर सड़कों पर उग्र प्रदर्शन न करें इसके लिए पुलिस ने सुबह ही बैरिंकेडिंग कर दी थी। वहीं प्रदर्शन के दौरान शिक्षामित्रों की पुलिसवालों से नोकझोंक भी हुई।
आम शिक्षक/शिक्षामित्र एसोसिएशन की प्रमुख मांगें-
आरटीआइ एक्ट 2009 के किसी प्रावधान के तहत सामायोजित नहीं होने वाले शिक्षामित्रों के लिए उत्तराखण्ड मॉडल अपनाते हुए उन्हें टेट पास करने के लिए चार साल का समय मिले।
टेट पास शिक्षामित्रों को बिना लिखित परीक्षा के उम्र और अनुभव का भरांक देकर नियमित किया जाए।
समायोजन रद्द होने के बाद जान गंवाने वाले सैकड़ों शिक्षामित्रों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी दी जाए।
आरटीआइ एक्ट 2009 के तहत 12400 पैरा टीचरों को अपग्रेड करते हुए पूर्ण शिक्षक का दर्जा और यूपी बेसिक शिक्षा नियामवली के अनुसार वेतन दिया जाए।
असमायोजित शिक्षामित्रों के लिए बिहार मॉडल अपनाते हुए समान कार्य-समान वेतन दिया जाए।
आज मुंडन कराने वालों में संगीता सिंह, सरोज भारती, सुमन सिंह, अजीत सिंह, अवनेंद्र सिंह, दिनेश पाल व रामेंद्र सिंह समेत सैकड़ों शिक्षामित्र शामिल थे।
अखिलेश यादव ने किया शिक्षामित्रों का समर्थन
वहीं इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से शिक्षामित्रों का समर्थन किया। उनहोंने ट्वीट कर कहा क हमने जिन शिक्षामित्रों को शिक्षक बना कर रोजगार व शिक्षातंत्र को सशक्त करा था उन्हें भाजपा ने आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया है।
हमने जिन शिक्षामित्रों को शिक्षक बना कर रोजगार व शिक्षातंत्र को सशक्त करा था उन्हें भाजपा ने आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया है. आंदोलन की बरसी पर महिला-पुरुष शिक्षामित्रों का केश त्यागना वस्तुत: भाजपा में विश्वास का भी त्याग है. शिक्षामित्रों के हर संघर्ष में समाजवादी साथ हैं। pic.twitter.com/sESX6iTNkU
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 25, 2018