आरयू ब्यूरो,
वाराणसी। काशी के दशाश्वमेध घाट पर आयोजित होने वाली विश्व प्रतिद्ध गंगा आरती की पंरपरा 26 साल बाद एक बार फिर बदल गई है। ऐसा शुक्रवार होने वाले चंद्रग्रहण के सूतक काल के कारण हुआ है।
गंगा सेवा निधि की ओर से दशाश्वमेध घाट पर आयोजित होने वाली आरती शुक्रवार को शाम की बजाय दिन में हुई। हर रोज शाम को होने वाली इस गंगा आरती का आयोजन जब आज दिन में हुआ तो देसी के साथ ही विदेशी पर्यटकों की भीड़ आरती में उमड़ पड़ी।
वहीं इस संबंध में गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि 26 सालों के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब गंगा आरती एक बजे दिन में हुई। इससे पहले बीते साल श्रावण पूर्णिमा के दिन सात अगस्त 2017 को भी दिन में 12 बजे आरती की गई थी।
मालूम हो कि सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण रात 11.54 बजे शुरू होकर भोर में 3.49 बजे समाप्त होगा। वहीं श्री गुरुपूर्णिमा होने के कारण शुक्रवार की पूजा ग्रहण के सूतक काल लगने से पहले की गई और दोपहर एक बजे दशाश्वमेध प्राचीन और दशाश्वमेध-राजेन्द्र प्रसाद घाट के संगम स्थली पर बटुकों ने मां गंगा की दिन में ही आरती की। इतना ही नहीं दूसरी ओर शहर के सभी शिवालयों एवं मंदिरों में दोपहर में सूतक काल के पूर्व भोग और शयन आरती पूरी की गई।
बता दें कि 21 पुजारी और 42 कन्याओं के माध्यम से होने वाली इस महाआरती की पहचान देश के साथ ही विदेशों में भी बन चुकी है। श्रद्धालु खासकर इस महाआरती में शामिल होने के लिए दुनिया भर से काशी आते हैं।
यह भी पढ़ें- काशी को समझने पहुंचे अमेरिकी नोबेल विजेता जोआचिम फ्रैंक, BHU में देंगे व्याख्यान