अब वाराणसी में कमीशनखोरी से हारे ठेकेदार ने PWD के चीफ इंजीनियर के चेेंबर में खुद को गोली मारकर दी जान

पीडब्लूडी के चीफ इंजीनियर

आरयू ब्‍यूरो, वाराणसी। राजधानी लखनऊ के विधानसभा के सामने निर्माण निगम से त्रस्‍त ठेकेदार द्वारा भुगतान नहीं होने पर खुद को आग लगाने की घटना को अभी 24 घंटें भी नहीं हुए थे कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हुई एक दूसरी घटना ने सनसनी मचा दी है। वाराणसी के कैंट कोतवाली क्षेत्र स्थित पीडब्लूडी के चीफ इंजीनियर के चेंबर में बुधवार की दोपहर एक ठेकेदार ने चीफ इंजीनियर के सामने ही खुद को गोली मारकर जान दे दी।

सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस और फॉरेंसिक टीम की छानबीन में घटना में इस्‍तेमाल ठेकेदार की लाइसेंसी रिवॉल्‍वर के अलावा एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें कमीशन नहीं मिलने के चलते इंजीनियरों द्वारा निर्माण कार्य के करोड़ों रुपए के भुगतान को सालों से रोकने की बात कही गयी है। साथ ही इंजीनियरों द्वारा ठेकेदार को तरह-तरह से प्रताड़ित करने की भी बात लिखी गयी है।

पुलिस ने शव को पोस्‍टमॉर्टम के लिए भेजने के साथ ही सुसाइड नोट, रिवॉल्‍वर मौके पर माजूद अन्‍य सामान को  कब्‍जे में लेने के साथ ही भुगतान से जुड़े इंजीनियरों से पूछताछ शुरू कर दी है। हालांकि अधिकारियों के अनुसार अवधेश का 48 लाख रुपया बकाया था। घटना की जानकारी पाकर मौके पर पहुंचे मृतक के परिजानों में कोहराम मचा था। वही साथी ठेकेदारों ने भी मीडिया के सामने ही पीडब्‍ल्‍यूडी के इंजीनियरों पर कमीशनखोरी समेत कई संगीन आरोप लगाए।

वहीं इस मामले की जांच के लिए प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग नितिन रमेश गोकर्ण ने तीन सदस्‍यों वालों कमेटी गठित की है। कमेटी दो दिन के अंदर मामले की जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट देगी।

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बताया जा रहा है कि मूल रूप से गाजीपुर निवासी अवधेश चंद्र श्रीवास्तव पीडब्ल्यूडी में ठेकेदारी करते थे। साल 2014-15 में कबीरचौरा महिला अस्पताल में 100 बेड के मैटरनिटी वार्ड के निर्माण का ठेका ई-टेंडरिंग के माध्यम से अवधेश को मिला था। सुसाइड नोट के अनुसार पीडब्‍ल्‍यूडी के इंजीनियर व अधिकारियों ने अनुबंध को मूल दर से 20 फीसदी ज्यादा पर तय कर दिया। धीरे-धीरे विभाग पर उसका बकाया 14 करोड़ 50 लाख रुपये से ऊपर हो गया। मगर भुगतान की जगह विभागीय अधिकारियों ने कभी मशीनरी एडवांस तो कभी सिक्योरिटी एडवांस के नाम पर अवधेश को भुगतान किया। नोट में लिखा कि हर बार बिल फार्म पर दस्तखत कराए गए। इसके बाद साढ़े चौदह में से केवल दस करोड़ का ही भुगतान किया गया।

वहीं आज इस संबंध में अवधेश श्रीवास्‍तव चीफ इंजीनियर अंबिका श्रीवास्‍तव के पीडब्‍ल्‍यूडी कार्यालय स्थित चेंबर में पहुंचें। कहा जा रहा है कि भुगतान की मांग करने पर चीफ इंजीनियर ने उनको बुरी तरह डांट दिया। जिससे क्षुब्‍द्ध होकर अवधेश ने मुख्‍य अभियंता के सामने ही अपनी लाइसेंसी रिवॉल्‍वर निकालकर सिर में गोली मार ली।

गोली चलने की आवाज सुनते ही कार्यालय परिसर में हड़कंप मच गया। चीफ इंजीनियर भी भागते हुए अपने कमरे से बाहर निकल गए। वहीं मौके पर लोग पहुंचे तो तब तक अवधेश की मौत हो चुकी थी। उनके शव के पास ही रिवॉल्‍वर भी पड़ी थी।

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घटना की सूचना लगते ही कमिश्‍नर दीपक अग्रवाल, डीएम सुरेंद्र सिंह, एसएसपी आनंद कुलकर्णी, एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह समेत पुलिस व प्रशासन के तमाम अधिकारी व फॉरेंसिक की टीम घटनास्‍थल पर पहुंच गयी।

मामले की गंभीरता को देखते हुए चीफ इंजीनियर कार्यालय का गेट बंद कराकर उनसे घंटों पूछताछ की गयी। वहीं ठेकेदार की कार से छह पेज का सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। फारेंसिक टीम ने उसे कब्जे में लिया है। पुलिस ने घटनास्‍थल से असलहे को भी बरामद कर लिया है।

डीएम सुरेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया कि पीडब्लूडी पर 48 लाख बकाया था। मेजरमेंट रिपोर्ट न होने के कारण एक्सईएन ने जेई को बुलाया था। इसके पहले 10 करोड़ 17 लाख का भुगतान हुआ था। दो करोड़ का इलेक्ट्रिकल विंग से भुगतान हुआ था। बिजली विभाग ने एक करोड़ की आरसी जारी की थी।

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वहीं प्रमुख सचिव पीडब्‍ल्‍यूडी नितिन रमेश गोकर्ण ने बताया कि घटना में लोक निर्माण विभाग वाराणसी के कार्मिकों की भूमिका आदि की जांच के लिए सचिव, लोक निर्माण विभाग समीर वर्मा की अध्यक्षता में त्रिस्तरीय समिति का गठन किया गया है। समिति में प्रमुख अभियंता परिकल्प एवं नियोजन राज मित्तल और लोनिवि के वित्‍त नियंत्रक सत्‍येंद्र कुमार भी शामिल हैं।

नितिन गोकर्ण ने कहा है कि समिति को निर्देश दिये गये हैं कि समिति द्वारा स्थलीय निरीक्षण करते हुए सुसंगत अभिलेखों की जांच के बाद अपनी तथ्यात्मक जांच आख्या दो दिन के अंदर शासन को दे।