आरयू वेब टीम।
सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 35ए पर सुनवाई एक बार फिर टल गई है। इस पर अब सुनवाई 19 जनवरी को होगी। शीर्ष अदालत में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान जम्मू कश्मीर की तरफ अपना पक्ष रख रहे अटॉर्नी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सभी सुरक्षा एजेंसियां राज्य के स्थानीय चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है।
वहीं केन्द्र की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय को बताया पहले स्थानीय चुनावों को शांतिपूर्वक हो जानें दें। वहीं जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से कहा गया कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव आठ चरणों में होने हैं। यह सितंबर से शुरू होकर दिसंबर तक चलेंगे। चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से होने दें। कोई संवदेनशील मुद्दा आने पर कानून-व्यवस्था की समस्या होगी।
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इससे पहले तक उम्मीद जताई जा रही थी कि आज सुप्रीम कोर्ट इस मामले को संविधान पीठ में भेजने पर फैसला कर सकता है। दूसरी ओर कश्मीर में सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है। श्रीनगर में अलगाववादियों के बंद को देखते हुए सेना भी मुस्तैद है। पत्थरबाजों से निपटने के लिए फौज ने मोर्चा संभाल लिया है। बीते दिनों कश्मीर में 35ए को लेकर अफवाह उड़ी थी, जिसके बाद घाटी के कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इसी के चलते आज सुनवाई से पहले ऐहतियातन राज्य के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था के कड़ इंतजाम किए गए हैं।
पहले भी टल चुकी है सुनवाई
बता दें कि 27 अगस्त को भी सर्वोच्च अदालत में अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होनी थी, जो नहीं हो सकी। उससे पहले छह अगस्त को हुई सुनवाई में जजों की कमेटी ने 35ए पर कई तरह के सवाल पूछे थे। इसमें सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि क्या ये मामला संविधान पीठ में जाना चाहिए या नहीं। उन्होंने कहा कि हमें ये तय करना होगा कि क्या ये मामला पांच जजों की बेंच के पास भेजें या नहीं।
जानें क्या है अनुच्छेद 35ए और उसके अधिकार
अनुच्छेद 35ए, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है। इसके तहत दिए गए अधिकार ‘स्थाई निवासियों’ से जुड़े हुए हैं। इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के समय दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दें अथवा नहीं दें।
अनुच्छेद 35ए, को लेकर 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35ए जोड़ दिया गया। यह अनुच्छेद 35ए, धारा 370 का ही हिस्सा है। इस धारा के कारण दूसरे राज्यों का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है।