आरय वेब टीम।
68500 सहायक शिक्षक भर्ती को लेकर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। परीक्षा के दौरान हुई जमकर धांधली के सामने आने के बाद इसकी जांच में भी बरती जा रही अनियमितताओं के चलते हाईकोर्ट ने होकर नियुक्तियों की जांच सीबीआइ को सौंप दी है। जो अपनी जांच छह महीने के अंदर पूरी करेगी। वहीं हाईकोर्ट के इस फैसले से धांधली त्रस्त लोगों में न्याय की आस मजबूत हुई है।
आज इस मामले की सुनावाई करने के दौरान हाईकोर्ट ने जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए प्रदेश सरकार के रवैये पर भी सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने जांच के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों और सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार अपने अधिकारियों की खाल बचाने में लगी है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
वहीं जिन तीन सदस्यों का चयन जांच समिति के लिए किया गया उसके दो अधिकारी उसी बेसिक शिक्षा विभाग से हैं, जिस पर सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 में भ्रष्टाचार करने के आरोप हैं। यहीं नहीं कोर्ट ने कमेटी द्वारा अब तक अपनायी गई जांच प्रक्रिया और रवैये पर नाराजगी व्यक्त की।
सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि परीक्षा में सामने आई गड़बड़ियां नागरिकों को संविधान द्वारा मिले मूल अधिकारों का हनन करती हैं। इन मामलों को न्यायिक जांच के दायरे से बाहर नहीं रखा जा सकता।
इसके अलावा हाईकोर्ट ने प्रस्तुत किए गए साक्ष्य और अन्य तथ्यों को ध्यान में रखते हुए भर्ती की जांच सीबीआइ को सौंपने की सिफारिश कर दी। इस मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
उल्लेखनीय है कि परीक्षा में हुई धांधलियों, बार-कोड के बावजूद उत्तर पुस्तिकाएं बदलने और सही जवाबों पर भी शून्य अंक देने के खिलाफ हाईकोर्ट में 41 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनकी हाईकोर्ट में एक साथ सुनवाई की गई।