आरयू वेब टीम।
सवर्णों की नाराजगी दूर करने व सवर्ण वोट बैंक को साधने के लिए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट की बैठक के बाद ये जानकारी देते हुुुए बताया की केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव के संशोधन को मंजूरी दे दी है। जानकारी के अनुसार संसद में संविधान संशोधन बिल मंगलवार को आ सकता है।
इसके साथ ही आरक्षण का कोटा अब 50 से बढ़कर 60 प्रतिशत हो जाएगा। इसके लिए संविधान संशोधन बिल लाया जाएगा। नए फैसले के बाद जाट, गुज्जरों, मराठों और अन्य सवर्ण जातियों के भी आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा, बशर्ते वो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में आते हों।
बताया जा रहा है कि यह दस प्रतिशत आरक्षण संविधान के मुताबिक दिए गए 50 प्रतिशत के ऊपर होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ किया था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग या इनके अलावा किसी भी अन्य विशेष श्रेणी में दिए जाने वाले आरक्षण का कुल आंकड़ा 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसके लिए सरकार को संविधान में संशोधन करना होगा।
उल्लेखनीय है कि बीते साल दो अप्रैल को दलित आंदोलन और एससी-एसटी एक्ट के बाद से सवर्ण कथित तौर पर मोदी सरकार से नाराज चल रहे थे। माना जा रहा था कि हाल ही में विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सवर्णों की नाराजगी झेलनी पड़ी। इसी वजह से भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले अपने बिखरे वोट बैंक को एकजुट करने की कोशिश की है।
वहीं मंडल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में पिछड़े वर्ग की आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा बताई गई थी। 2007 में सांख्यिकी मंत्रालय के एक सर्वे में कहा गया था कि हिंदू आबादी में पिछड़े वर्ग की संख्या 41 प्रतिशत और सवर्णों की संख्या 31 प्रतिशत है। 2014 के एक अनुमान के मुताबिक, 125 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां हर जातिगत समीकरणों पर सवर्ण भारी पड़ते हैं।
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