आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में चल रही ‘गंगा यात्रा’ को लेकर भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा को भटकाव की राजनीति में महारत हासिल है, जबकि, प्रदेश में जनता परेशानियों से जूझ रही है। सपा सुप्रीमो ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के पूरे तीन साल तरह-तरह के लोकार्पण, महोत्सवों के आयोजनों में ही बीत गए हैं, उसका अपना तो कुछ काम हुआ नहीं, समाजवादी सरकार के कामों को ही अपना बताते रही।
वहीं भाजपा सरकार पर हमला जारी रखते हुए अखिलेश ने कहा कि बीजेपी सरकार ‘इवेंट मैनेजमेंट कमिटी’ बन गई है, जिसने अब ‘गंगा यात्रा’ का नया ‘इवेंट’ शुरू कर लिया है। मंहगाई, बेकारी और बिगड़ी कानून व्यवस्था का दूसरा नाम उत्तर प्रदेश बनता जा रहा है, सीएए के विरोध में जगह-जगह आक्रोश की आग सुलग रही है। महिलाएं चौका चूल्हा छोड़कर मैदान में उतर आई हैं और राज्य की भाजपा सरकार एवं मुख्यमंत्री को इन सबकी परवाह नहीं, वे खेल तमाशों में और भव्य आयोजनों में व्यस्त हैं।
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… आज भी मैली की मैली
सपा मुखिया ने आगे कहा कि ‘वैसे यह कोई नई बात नहीं है। प्रधानमंत्री ने नमामि गंगे के नाम पर खजाना खोल दिया, लेकिन गंगा मैली की मैली ही बनी हुई है। दिखावे के लिए ही ये अभियान चलाए गए हैं। ‘मुख्यमंत्री ने अपनी गंगा यात्रा में 56 राज्य मंत्रियों को लगा दिया है। केंद्रीय मंत्री भी इसमें शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में गंगा की लंबाई 1140 किली मीटर है और गंगा यात्रा 1338 किमी चलेगी।’
गंगा मइया के नाम पर धोखेे का धंधा…
इस दौरान अखिलेश ने कहा कि गंगा मइया के नाम पर धोखे का यह धंधा 1985 से शुरू हुआ था जो 2000 में बंद हुआ। 15 साल में 900 करोड़ खर्च हुए। सन् 2014 में बीजेपी फिर गंगा सफाई में जुट गई। निर्मल गंगा के लिए कई लोगों ने अपनी जाने दे दी। तब बीजेपी की संवेदना नहीं जागी। अब इस नए ‘इवेंट’ के लिए यही कहा जा सकता है कि डबल इंजन सरकारें भी बहकाने में लग गई है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की गंगा यात्रा से गंगा किनारे और नदी से आजीविका कमाने वालों को कोई लाभ होने वाला नहीं है।’
गंगा यात्रा से किया स्थानीय लोगों के जले पर नमक छिड़कने का काम
अखिलेश यादव ने ये भी कहा कि मुख्यमंत्री ने बिजनौर से गंगा यात्रा की शुरूआत कर स्थानीय लोगों के जले पर नमक छिड़कने और अपनी सरकार का घमंड दिखाने का काम किया है। बिजनौर में देवलगढ़ के राजा रामपुर गांव में दो लोग गंगा में डूबकर मर गए। स्थानीय लोग डेढ़ माह तक गंगा में खड़े होकर मुआवजा और गंगा पर पुल की मांग करते रहे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वहीं, फतेहपुर ग्राम के मोहम्मदपुर देवल ब्लॉक में पूरा गांव बाढ़ में कट गया। लोग झुग्गी-झोपड़ी डालकर रह रहे हैं, इनको न आवास मिला न मुआवजा। साफ है कि भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री सिर्फ सत्ता पर काबिज रहने की ही जुगत में हैं। जनता को भ्रमित करने की इन साजिशों को अब लोग पहचानने लगे हैं।
नदी की कटान में उजड़ें गांवों के लोगों दे मुआवजा
अखिलेश यादव ने मांग की है कि सरकार नदी कटान में उजड़ गए गांवों के लोगों को मुआवजा दे। गांव के किनारे तटबंध बनाएं। दबंगों ने कश्यप समाज की गंगा किनारे जमीने कब्जा ली हैं उन्हें खाली कराएं। भाजपा ने गंगा किनारे रेत पर ककड़ी, खीरा, तरबूज आदि उगाने वालों के लिए कुछ नहीं किया। नाव चलाकर आजीविका कमाने वालों के लिए भी भाजपा के पास कोई योजना नहीं है। वाराणसी के घाटों पर सरकारी क्रूज चलाकर नाविकों को बेरोजगार कर दिया गया है। नदी किनारे गोताखोरों का सिर्फ शोषण ही होता आया है।
हाई कोर्ट में 17 पिछड़ी जातियों की ठीक से पैरवी न कर रूकवा दिया आरक्षण
वहीं भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए अखिलेश ने कहा कि समाजवादी सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों कश्यप, निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कहार, गोंड, मांझी, राजभर, प्रजापति आदि को अनुसूचित जाति में रखने का काम किया था, लेकिन भाजपा सरकार ने ठीक से हाईकोर्ट में पैरवी न करके इनका आरक्षण रूकवा दिया। यह भाजपाइयों की गरीब केवट समाज के साथ हमदर्दी का दिखावा भर है।