आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लॉकडाउन के दौरान लंबे समय से दूसरे राज्यों में फंसें प्रवासी मजदूरों से ट्रेन के टिकट का पैसा लेना पर सियासी घमासान तेज होता नजर आ रहा है। सोमवार को जहां कांग्रेस ने प्रवासी मजदूरों के किराये का खर्च उठाने की घोषणा की है। वहीं भाजपा सरकार मजदूरों से टिकट लेने की बात को नकार रही है।
इन सबके बीच मंगलवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दो लोगों की ट्रेन के साथ एक फोटो ट्विट करते हुए सवाल किया है कि अगर यह टिकट नहीं है तो क्या बंधक मजदूरों को छोड़ने की एवज में ली गयी सरकारी फिरौती की रसीद है।
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सपा सुप्रीमो ने आज ट्विट कर भाजपा व सरकार पर सवाल उठाएं हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में भाजपाई ये कहते घूम रहे हैं कि सरकार ने मजदूरों से टिकट के पैसे नहीं लिए हैं, जबकि देशभर में बेबस मजदूर अपनी टिकट दिखा रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि अगर ये टिकट नहीं है तो क्या बंधक मजदूरों को छोड़ने पर ली गयी फिरौती की सरकारी रसीद है। साथ ही उन्होंने अंत में लिखा कि गरीब विरोधी भाजपा का अंत शुरु।
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मजदूरों की पुकार न जाने कब सुनेगी सरकार
वहीं अपने एक अन्य ट्विट में अखिलेश यादव ने सवाल उठाते हुए कहा है कि असंवेदनशील केंद्र सरकार व रेलवे मुंबई के मजदूरों की ट्रेन चलाने की पुकार न जाने कब सुनेगी। संकट के समय मजदूर भावनात्मक रूप से अपने घर और घरवालों से दूरी महसूस कर रहे हैं। गुजरात में भी कई जगह अशांति है। साथ ही देशभर के मजदूरों को लग रहा है कि अब वो भाजपा सरकार के बंधक बन गये हैं।