आरयू ब्यूरो, लखनऊ। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक अजय कुमार लल्लू को जेल भेजे जाने के मामले में सोमवार को कांग्रेस विधान मंडल दल की नेता अराधना मिश्रा मोना ने यूपी की राज्यपाल अनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर कई गंभीर आरोप लगाएं हैं। अराधना मिश्रा ने जेल में लल्लू को प्रताड़ित करने का आरोप लगाने के साथ ही उनकी गिरफ्तारी की पूरी प्रकिया पर ही सवाल उठाते हुए कांग्रेस विधायक के साथ अभद्रता करने वाले अफसरों पर भी कार्रवाई कि मांग की है।
आज अपने पत्र में अराधना मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश का शासन कांग्रेस विधान मंडल दल के पूर्व नेता, यूपी कांग्रेस अध्यक्ष व विधायक अजय कुमार लल्लू को प्रताड़ित कर रहा। व्यक्तिगत और राजनैतिक द्वेष के कारण उन पर बेबुनियाद मुकदमा कोतवाली हजरतगंज लखनऊ में सरकारी कर्मचारियों से दबाव बनाकर लिखवाया गया है।
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प्रकरण का जिक्र करते हुए अराधना मिश्रा ने कहा है कि मजदूरों के लिए 16 मई को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने हजार बसों को नोएडा और गाजियाबाद से चलाने के लिए यूपी के सीएम को पत्र लिखा था, जिसे सीएम कार्यालय द्वारा स्वीकार करने के बाद बसों को आगरा-राजस्थान सीमा पर अजय कुमार लल्लू द्वारा उन बसों को उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को सौंपने के लिये कहा गया।
पहले तो अधिकारियों द्वारा अजय कुमार लल्लू से लगातार झूठ बोला जाता रहा कि अभी बसों को लेते हैं, परंतु बाद में बिना कोई कारण बताये 19 मई को अजय कुमार लल्लू समेत कांग्रेस विधान मंडल दल के पूर्व नेता प्रदीप माथुर, पूर्व सदस्य, विधान परिषद विवेक बंस को अमानवीय और असम्मानजनक ढंग से गिरफ्तार कर लिया गया।
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दूसरे दिन उन्हें न्यायालय के सामने समय से पेश नहीं किया गया और लखनऊ से पुलिस आने का इंतजार किया गया। चूंकि तथ्यों से परे उन पर धाराएं लगायी गयी थी, इसलिए उन्हें आगरा से जमानत मिल गयी, लेकिन तभी लखनऊ से पहुंची पुलिस अजय कुमार लल्लू को रात में अमानवीय ढंग से लखनऊ ले आयी और सबकी नजरों से बचाकर उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। जिसके बाद उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया गया और फिर लखनऊ जेल भेज दिया गया, जहां उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है।
मोना ने अपने पत्र में आरोप लगाते हुए कहा कि वह खुद भी लगातार प्रदेश अध्यक्ष से मिलने का प्रयास कर रहीं हैं, लेकिन उन्हें भी जेल में मिलने नहीं दिया जा रहा है। साथ ही अराधना मिश्रा ने अपने पत्र में राज्यपाल से यह भी कहा है कि अजय कुमार लल्लू को आगरा में घसीटकर सड़क पर लाया गया, दूसरे दिन तब तक कोर्ट में पेश नहीं किया गया, जब तक लखनऊ से पुलिस नहीं पहुंच गयी।
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उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर अजय कुमार पर हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज था तो वह कोई अपराधी नहीं थे, वह विदेश नहीं भाग जाते, उन्हें अवसर दिया जाना चाहिए था कि वह एफआईआर के खिलाफ न्यायालय से न्याय ले सकें।
साथ ही मामले की विवेचना में आरोपों के सत्यता की जांच की जाती, और उन्हें जांच में सहयोग के लिये बुलाया जाता, अगर वह जांच में सहयोग नहीं करते और प्रकरण में दोषी मिलते तो उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए था, लेकिन उन्हें कोई अवसर नहीं दिया गया, यह नैसर्गिक न्याय का उल्लंघन है और विधान सभा सदस्य के अधिकारों का भी उल्लंघन है ।
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अराधना मिश्रा ने अपने पत्र में यह भी आरोप लगाया है कि अजय कुमार लल्लू को लखनऊ के जिस मुकदमें में गिरफ्तार किया गया है उसके किसी भी प्रपत्र या सूची में उनके कहीं भी हस्ताक्षर नहीं है, और न ही कही मौखिक रूप से उनके संवाद ही हैं, उन्हें एक षड़यंत्र के तहत गिरफ्तार किया गया है, जो पूरी तरह से अनुचित और अन्यायपूर्ण है।
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लखनऊ में उनके जमानत प्रार्थना पत्र को अभियोजन पक्ष द्वारा टाला जा रहा, ताकि उनकी जमानत न हो सके। अजय कुमार लल्लू, विधान सभा के वरिष्ठ सदस्य है, एक राष्ट्रीय राजनैतिक दल के प्रदेष अध्यक्ष हैं, उनके साथ किया जा रहा अमानवीय आचरण दोष से परिपूर्ण है।
राज्यपाल से न्याय की उम्मीद जताते हुए विधान मंडल दल की नेता ने पत्र में लिखा है कि आपसे विनम्रतापर्वूक अनुरोध है कि अजय कुमार लल्लू पर दर्ज मुकदमा तत्काल वापस लेकर उन्हें ससम्मान रिहा किया जाए। साथ ही आगरा व लखनऊ में अजय कुमार लल्लू के साथ अमानवीयता दिखाकर उन्हें प्रताड़ित करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाये।