आरयू ब्यूरो, लखनऊ। पीजीआइ कोतवाली के वृंदावन कॉलोनी के सेक्टर 14 में आधा दर्जन बदमाशों ने सचिवालय के सेक्शन अफसर के मकान में प्रापर्टी डीलर की गोली मारकर हत्या कर दी। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने 35 वर्षीय प्रॉपर्टी डीलर दुर्गेश यादव को अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना के बाद हरकत में आयी पुलिस ने एक हत्यारोपित मनीष यादव को गिरफ्तार करते हुए घटना में इस्तेमाल की गयी पिस्टल व पांच कारतूस बरामद कर लिया है। हत्या के पीछे पैसों के लेन-देन का विवाद फिलहाल सामने आ रहा है।
बताया जा रहा है कि सचिवालय के सेक्शन अफसर अजय यादव का वृंदावन कॉलोनी के सेक्टर 14 में मकान है। उन्होंने मकान को मानवेंद्र को किराये पर दिया था। जहां मानवेंद्र के अलावा दुर्गेश यादव व अन्य लोग भी रह रहे थे।
इंस्पेक्टर पीजीआइ केके मिश्रा के अनुसार पुलिस ने दुर्गेश के हत्यारोपित फिरोजाबाद के नसीरपुर क्षेत्र निवासी निवासी मनीष यादव के अलावा गोमतीनगर विस्तार के हिमालयन अपार्टमेंट सेक्टर-4 निवासी पलक ठाकुर को भी गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास से 7.65 एमएम की पिस्तौल, पांच कारतूस, एसयूवी और दुर्गेश यादव का मोबाइल बरामद किया है। आरोपी मौके से मोबाइल ले गए थे। अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही है।
गोरखपुर का हिस्ट्रीशीटर था दुर्गेश
पीजीआइ पुलिस के अनुसार दुर्गेश काफी शातिर किस्म का था। वह लोगों के साथ जालसाजी कर चुका था। कई मुकदमें दर्ज होने के बाद उसकी हिस्ट्रीशीट भी गोरखपुर पुलिस ने खोली थी। साथ ही पुलिस की छानबीन में सामने आया है कि दुर्गेश सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर कई लोगों से लाखों रुपये हड़प चुका था। वारदात के पीछे लेनदेन का विवाद है। उसके खिलाफ हजरतगंज थाने में दो साल पहले रुपये हड़पने व जालसाजी का मुकदमा भी दर्ज हुआ था।
डीसीपी पूर्वी चारू निगम ने मीडिया को बताया दुर्गेश मूलरूप से गोरखपुर के उरूवा बाजार के मठ भताड़ी का रहने वाला था। उसके दोस्त मानवेंद्र ने वृंदावन कॉलोनी सेक्टर-14 स्थित सेक्शन ऑफिसर के मकान को किराए पर ले रखा है। मंगलवार रात दुर्गेश मकान पर था। उसके साथ गोला के राजेंद्र प्रसाद भी थे। सुबह करीब साढ़े सात बजे फिरोजाबाद के शिकोहाबाद का मनीष यादव व पलक ठाकुर कुछ साथियों संग एसयूवी से पहुंचे। इस दौरान दुर्गेश बाथरूम में था। हमलावरों ने पहले दुर्गेश के साथियों को एक कमरे में बंद कर दिया। काफी इंतजार करने के बाद जब दुर्गेश बाहर निकला तो मनीष व पलक ने साथियों संग उसकी पिटाई शुरू कर दी। बचने के लिए दुर्गेश पहली मंजिल से नीचे उतरा। आरोप है कि मनीष ने गेट पर ही उसे गोली मार दी। गोली दुर्गेश के पेट में लगी थी। आनन-फानन उसके साथियों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने घायल को ट्रॉमा सेंटर भेजा, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
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वहीं, वारदात के बाद मनीष यादव स्कॉर्पियो से प्रयागराज की तरफ भाग निकला। पुलिस ने मौके से मिले स्कॉर्पियो के नंबर से आसपास के जिलों में अलर्ट भेजा। वारदात के करीब तीन घंटे बाद मनीष को प्रतापगढ़ के नवाबगंज थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से पिस्तौल व एसयूवी बरामद कर ली। दोपहर में पीजीआइ पुलिस उसे लेकर लखनऊ पहुंची।
पीजीआइ पुलिस के अनुसार दुर्गेश के दोस्त एटा के सिंहपुर निवासी मानवेंद्र यादव ने तहरीर दी। इसमें शिकोहाबाद निवासी मनीष यादव व गोमतीनगर विस्तार सुलभ आवास निवासी पलक ठाकुर व चार अन्य लोगों पर हत्या का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया है।
पुलिस के मुताबिक, दुर्गेश की हत्या रुपयों के लेनदेन में हुई है। दुर्गेश ने कई लोगों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर पलक ठाकुर और मनीष यादव से काफी रुपये ऐंठे थे। पूछताछ में सामने आया कि पलक ठाकुर का ही अकेले 22 लाख रुपये का लेनदेन था। वहीं, मनीष ने सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपये दिए थे। इसे लेकर काफी दिनों से तनातनी थी। पूछताछ में मानवेंद्र ने बताया कि दुर्गेश का रुपया पलक ठाकुर व मनीष ने हड़प लिया था। वापसी का दबाव बनाया तो वारदात अंजाम दे डाली।
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दुर्गेश यादव किसान उमाकांत का इकलौता बेटा था। पढ़ाई-लिखाई के बाद वह राजनीति में आ गया और प्रॉपर्टी का कारोबार भी करने लगा। कुछ दिन गोरखपुर में काम करने के बाद लखनऊ चला आया, यहां उसने कई बड़ी संपत्तियों का सौदा कराया। इसमें कुछ विवादित संपत्तियां भी थीं। पुलिस के मुताबिक, दुर्गेश ने 2015 में हुए जिला पंचायत चुनाव में उरूवा से किस्मत आजमाई थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद वह लखनऊ में ही आकर रहने लगा।