आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लव जिहाद के नाम से पहचाने जाने वाले उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक-2021 यूपी विधानसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया है। बुधवार को विधेयक को सदन के पटल पर विचार के लिए रखा गया था। विपक्ष ने इसे प्रवर समिति को भेजने की सिफारिश की थी।
इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि ऐसा पाया गया है कि धर्म परिवर्तित कर धोखाधड़ी करके शादी की जा रही है, जिस पर हम लोगों ने सजा का प्रावधान किया है।
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी मिलने के साथ ही यूपी में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लागू हो गया था। अध्यादेश लागू किए जाने की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। इसे कैबिनेट ने 24 नवंबर को अध्यादेश को मंजूरी दी थी और उसे अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा गया था।
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नियम के अनुसार अध्यादेश को छह माह के भीतर विधान मंडल के दोनों सदनों में मंजूरी दिलानी होती है। इसी के तहत सरकार ने बुधवार को विधान सभा में विधेयक को ध्वनि मत से पारित करा लिया। अब सरकार इस विधेयक को विधान परिषद में ले जाएगी।
दी गई है हाई कोर्ट में चुनौती
गौरतलब है कि इससे पहले अध्यादेश के जरिये लाए गए धर्मांतरण कानून को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। योगी सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण अध्यादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चार अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर चुनौती दी गई है। इसमें अध्यादेश को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में धर्मांतरण कानून के दुरुपयोग होने की आशंका जाहिर की गई है। याचिका में कहा गया है की इस कानून के जरिए समाज विशेष के लोगों को प्रताड़ित किया जाएगा, यह कानून विधि सम्मत नहीं है। साथ ही संविधान के खिलाफ बताते हुए रद्द किए जाने की मांग की गई है।