आरयू वेब टीम। कांवड़ यात्रा पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। एसजी तुषार मेहता ने केंद्र सरकार के जवाब की जानकारी देते हुए कहा- केंद्र का मानना है कि हरिद्वार से गंगा जल लाने की इजाजत नहीं होनी चाहिए, सिर्फ जगह-जगह गंगा जल उपलब्ध कराया जाए। वहीं योगी सरकार का कहना है कि उसकी ओर से सिर्फ प्रतीकात्मक यात्रा की इजाजत दी गई है। योगी सरकार ने कहा कि कम से कम लोगो की संख्या के साथ और कोविड प्रोटोकॉल का अनुसरण किया जाए। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा योगी सरकार अपने फैसले पर फिर से विचार कर सोमवार तक हमे बताये वरना हमे आदेश पास करना होगा।
योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कि उत्तर प्रदेश प्रशासन कांवड़ यात्रा को लेकर कांवड़ संघों से बातचीत कर रहा है। कांवड़ संघ खुद यात्रा स्थगित करने का निर्णय ले सकते हैं। नौ जुलाई को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ संघों से बातचीत करने का निर्देश दिया था। सीएम योगी ने कहा था कि अधिकारी लोकल स्तर पर कांवड़ संघ से संवाद स्थापित कर पिछले साल की तरह निर्णय लेने का प्रयास करें। सीएम योगी ने था कहा कि महामारी व्यक्ति की जाति चेहरा और मजहब नहीं देखता है। एसीएस होम और डीजीपी को दूसरे राज्यों से संवाद स्थापित करने को कहा गया है।
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इसपर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में लिखवाया कि ये लोगों की जिंदगी से जुड़ा मसला है। लोगों की जिंदगी और उनका स्वास्थ्य सबसे उपर है। अनुच्छेद-12 सबको जीवन का मौलिक अधिकार है। धार्मिक भावनाएं भी उसके बाद ही आती है। हम पहली नजर में इस बात के पक्ष में नहीं कि यात्रा की अनुमति दी जा। यूपी सरकार सोचकर बताये कि यात्रा को अनुमति देनी है या नहीं। हम आपको सोमवार तक समय दे रहे हैं। नहीं तो हमको जरूरी आदेश देना पड़ेगा।