आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लखनऊ नगर निगम सीमा का विस्तार होने व सफाई व्यवस्था समेत अन्य सुविधाओं की बदहाली को देखते हुए लखनऊ में लगातार एक और नगर निगम बनाने की मांग उठ रही है। रविवार को इसी क्रम में लखनऊ जनकल्याण महासमिति ने रक्षा मंत्री व लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह से मुलाकात कर वर्तमान दिक्कतों से अवगत कराते हुए ट्रांस गोमती क्षेत्र में भी एक नगर निगम की मांग की। बीजेपी सांसद को ज्ञापन सौंपते हुए हाल ही में नगर निगम की सीमा में शामिल हुए 88 गांवों के निवासियों के सामने आ रही समस्याओं को प्रमुखता से उठाया है। महासमिति की मांग पर रक्षामंत्री ने विचार करते हुए सीएम योगी को इस समस्या के समाधान के लिए पत्र लिखने को कहा है।
लखनऊ जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि लखनऊ नगर निगम में नए 88 गांवों के शामिल होने से नगर निगम की सीमा अब 568 वर्ग किलोमीटर हो गई है वर्तमान में लखनऊ नगर निगम सीमा में 110 वार्ड भी हैं जो नियमानुसार अधिक है।
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दिसंबर 2019 से पहले नगर निगम का क्षेत्रफल 310.104 वर्ग किलोमीटर था, जबकि साल 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी 28,17,105 थी। शामिल किए गए 88 गांवों की आबादी साल 2011 की जनगणना के अनुसार 2,69,464 आंकी गई है।
कैबिनेट ने लिया भी 88 गांवों को नगर निगम में शामिल करने का निर्णय
वहीं यूपी कैबिनेट ने भी तीन दिसंबर 2019 को 88 गांवों को नगर निगम में शामिल करने का निर्णय लिया और पांच दिसंबर को अधिसूचना जारी की गई। इस प्रकार वर्तमान जनगणना का आंकलन किया जाए तो नगर निगम के 568 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में लगभग लगभग 40 लाख लोग रह रहें हैं।
…तो लखनऊ में बनाया जा सकता है 13 नगर निगम
नगर निगम सीमा में शामिल करने के लिए कम से कम तीन लाख आबादी के क्षेत्रों को रखा गया है, ऐसे में देखा जाय तो लखनऊ में 13 नगर निगम बनाया जा सकता है, लेकिन वर्तमान में मात्र एक नगर निगम होने के कारण लखनऊ की सफाई से लेकर कूड़ा निस्तारण तक कि व्यवस्था बहुत खराब है। शायद यही कारण है कि इतना बड़ा क्षेत्र होने के चलते विकास व सुधार कार्य प्रभावित हो रहा है और शहर की खूबसूरती सुधरने की जगह बिगड़ती जा रही है।
88 गांवों के लोगों के जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र तक नहीं बन पा रहे
उमाशंकर ने कहा कि आज राजनाथ सिंह को सौंपे गए ज्ञापन में नगर निगम में शामिल नए 88 गांवो में सड़क, सीवर, नाली, बिजली व पानी आदि की व्यवथा होना जरूरी है। ऐसे में इतनी बड़ी आबादी और क्षेत्रफल का आकलन करें तो कम से कम दो नगर निगम के बगैर विकास संभव नहीं है। इतना ही नही नए 88 गांवों के नगर निगम में शामिल होने के कारण आज यह क्षेत्र न तो ग्रामसभा मे रह गया और न ही नगर निगम को हैंडओवर हो सका। ऐसे में सफाई से लेकर विकास कार्य प्रभावित है। इन 88 गांवों के लोगों के जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र तक नही बन पा रहे हैं।
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रक्षा मंत्री से मुलाकात के दौरान लखनऊ जनकल्याण महासमिति के महासचिव रामकुमार यादव, उपाध्यक्ष विवेक शर्मा, नगर निगम में शामिल 88 गांवों के संयोजक एवं मखदूमपुर गांव के प्रधान देवेश यादव समेत महासमिति के अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहें।