आरयू वेब टीम।
संसद का मॉनसून सत्र जल्द ही शुरू होने वाला है, इसके ठीक पहले जो खुलासा किया गया है, उससे हड़कंप मच सकता है। भाजपा सरकार भी कांग्रेस पर ढेरों सवाल खड़े कर सकती है। एक अंग्रेजी चैनल ने खुलासा किया है कि अजमेर और मालेगांव ब्लॉस्ट के बाद उपजे हालात को देखते हुए पिछली मनमोहन सरकार राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को हिन्दु आतंकवादी घोषित करना चहती थी। इसके लिए उसने मोहन भागवत का नाम आतंकियों की लिस्ट में डालने की तैयारी भी शुरू कर दी थी।
अपने इस काम को पूरा करने के लिए यूपीए सरकार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भी तैयार कर रही थी। कहा जा रहा है ये फैसला उसने 2014 में सामने आए एक इंटरव्यू के सामने आने के बाद लिया।
रिपोर्ट के अनुसार इंटरव्यू में कथित आतंकी स्वामी असीमानंद ने करंट अफेयर मैगजीन कारवां से कहा था कि हमलों के लिए वह आरएसएस चीफ मोहन भागवत से प्ररित था।
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असीमानंद के इस कथित खुलासे के सामने आने के बाद केंद्र की यूपीए सरकार ने एनआईए पर आरएसएस चीफ पर शिकंजा कसने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था।
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हालांकि एनआईए ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। कहा यह भी जा रहा है कि एनआईए इंटरव्यू के ऑडियो की जांच कराना चाहती थी, लेकिन राजनीतिक कारणों से पूरे मामले को ही लटका दिया गया। बाद में इस केस को ही एनआईए ने बंद कर दिया।
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