आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रामा सेंटर में शनिवार की शाम भीषण आग लग गई। दूसरी मंजिल से शुरू हुई आग ने ट्रामा के बेकार पड़े फॉयर फाइटिंग सिस्टम की वजह से तीसरे तल को भी अपनी चपेट में ले लिया। आग के बाद पूरे ट्रामा सेंटर में अफरा-तफरी मच गई लोगों ने किसी तरह अपने मरीजों को बाहर निकाला।
हादसे में 21 दिन के दूधमुहे समेत आधा दर्जन मरीजों की मौत हो गई। सूचना पाकर मौके पर पहुंची फॉयर ब्रिगेड की करीब दो दर्जन गाडि़यों ने चार घंटे की मश्क्कत के बाद आग पर काबू पाया। इस दौरान मरीजों के तीमारदारों ने केजीएमयू कर्मचारियों और डॉक्टरों पर नवजातों को धुंए के बीच छोड़कर भागने समेत कई गंभीर लगाए। हादसे में लाखों रुपए की मशीने, फर्नीचर समेत अन्य सामान भी जलकर नष्ट हो गए।
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बताया जा रहा है शाम करीब सात बजे ट्रॉमा के आपदा प्रबंध वॉर्ड में एकाएक आग लग गई, लोग कुछ जान पाते इससे पहले ही आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। इसी बीच आग की सूचना फॉयर ब्रिगेड को दी गई।
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मौके पर पहुंचे अग्निशमन कर्मियों ने आग की विकरालता को देखते हुए तत्काल दर्जनों गाडि़यां मौके पर बुला ली। इसी दौरान आग ने तीसरे मंजिल को भी अपनी चपेट मे ले लिया। जबकि चौथी मंजिल पर धुंआ भर गया। आग और धुंए के बीच फंसे सैकड़ों मरीजों को उनके परिजन जैसे-तैसे लेकर बाहर भागने लगे। इनमें से कई नवजातों समेत कई मरीज वेंटिलेटर पर भी थे।
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केजीएमयू प्रशासन ने आग से प्रभावित मरीजों को लारी, गांधी वार्ड, शताब्दी, बाल विभाग समेत अन्य वार्डों में शिफ्ट कर दिया। वहीं बड़ी संख्या में लोग अपने मरीजों को लेकर प्राइवेट समेत अन्य अस्पतालों में चले गए। इस आपाधापी के बीच मुकेश, वसीम अहमद, सरस्वती, अरविंद गौतम, 21 दिन के नवजात समेत छह मरीजों की जान चली गई।
सीएम के पहुंचने की सूचना पर फूले हाथ-पांव
घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खुद ट्रॉमा सेंटर पहुंचने की जानकारी लगते ही, केजीएमयू प्रशासन फॉस्ट हो गया। हालांकि बाद में मुख्यमंत्री ने खुद न पहुंचकर मंत्री आशुतोष टंडन और बृजेश पाठक को मौके के निरीक्षण के लिए भेजा।
वहीं दूसरी ओर केजीएमयू के वीसी प्रो. एमएल भट्ट समेत सीएमएस डा. एसएन संखवार ने हादसे में किसी के भी जान नहीं जाने का दावा किया है।
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योगी ने दिए जांच के आदेश
मानवता को तार-तार करने के लिए अपनी पहचान को मजबूत करते केजीएमयू प्रशासन के लिए शायद इस घटना के बाद मुसीबतें बढ़ जाएं। सीएम ने अग्निकांड को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश रात में ही जारी कर दिए। कमिश्नर अनिल गर्ग से इस पूरे मामले की रिपोर्ट तीन दिन के भीतर देने को कहा है।
केजीएमयू का फॉयर फाइटिंग सिस्टम नहीं कर रहा था काम
इस भीषण अग्निकांड के बाद एक बार फिर केजीएमयू प्रशासन की सच्चाई सामने आई। यूपी के सबसे बड़े अस्पताल का दावा करने वाले केजीएमयू में करोड़ों रुपए के खर्च के बाद भी फॉयर फाइटिंग सिस्टम ही काम नहीं कर रहे थे। आपदा प्रबंध वॉर्ड से आग की शुरूआत हुई, लेकिन स्मोक डिटेक्टर काम नहीं करने के चलते लोगों को इसकी जानकारी काफी देर से मिली। बाद में आग देख लोगों ने इसे काबू करने की भी कोशिश की लेकिन फायर फाइटिंग सिस्टम फेल मिलने के चलते वह आग को तीसरी मंजिल पर पहुंचने से नहीं रोक सके।
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पिछली घटनाओं से भी नहीं लिया सबक
केजीएमयू में यह हालात तब सामने आएं है, जब पिछले कई महीनों में वहां आग लग चुकी थी। केजीएमयू प्रशासन ने पिछली गलती नहीं सुधारी जिसकी वजह से आधा दर्जन लोगों की मौत हो गई। हालांकि सीएम की जांच शुरू होने के बाद माना जा रहा है कि हमेशा अपने बेलगाम, नकारे और लापरवाह कर्मचारियों को बचाने के लिए कोशिश करने वाले केजीएमयू प्रशासन पर ही इस बार सीएम का हंटर चलेगा।
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