आरयू संवाददाता,
इलाहाबाद। सभी शर्तों को पूरा करने के साथ ही परीक्षाओं के दौर से गुजर चुके 803 प्रशिक्षु शिक्षकों का संघर्ष समाप्त होता नहीं दिखाई दे रहा है। मौलिक नियुक्ति के लिए करीब पांच महीनों से इलाहाबाद से लेकर लखनऊ तक की खाक छानने वाले प्रशिक्षु शिक्षकों ने सिस्टम को जगाने के लिए इलाहाबाद में हाल ही में मानव श्रृंखला बनाने के साथ ही भिक्षा मांगने व सिर मुंडवाने के बाद अब आमरण अनशन आज से शुरू कर दिया है।
मौलिक नियुक्ति के लिए सरकारी अमले को जगाने के लिए शिक्षा निदेशालय के बाहर प्रशिक्षु शिक्षक राम सजीवन विश्वकर्मा व भोजराज सिंह आमरण अनशन पर बैठे हैं। वहीं दोनों प्रशिक्षु शिक्षकों के समर्थन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से पहुंचे सैकड़ों अन्य प्रशिक्षु शिक्षक भी मौके पर मौजूद रहें।
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प्रशिक्षु शिक्षक संघर्ष मोर्चा के तत्वाधान में संघर्ष कर रहे प्रदर्शनकारियों का कहना था कि मौलिक नियुक्ति पाने के लिए जितनी योग्यता होनी चाहिए उन सभी को पूरी करने के बाद भी पांच महीनों से वह लोग परेशान हैं। विभिन्न जिलों से वह लोग इलाहाबाद पहुंचते है तो अधिकारी उनको इलाहाबाद से लखनऊ, तो कभी लखनऊ से इलाहाबाद का चक्कर लगवा रहें हैं। हर जगह से सिर्फ आश्वसान मिल रहा है। नौबत इतना खराब हो चुकी है कि शिक्षकों को सम्मान मिलने की जगह अब योगी सरकार में अपमान का सामना करना पड़ रहा है। वहीं उन लोगों के सामने आर्थिक संकट भी अब काफी गहराता जा रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी बताया कि साल 2016 में 803 प्रशिक्षु शिक्षक रिक्त सहायक अध्यापक के पदों पर चयन प्राप्त करते हुए छह माहिने का प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं। इसके साथ ही परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा आयोजित प्रशिक्षु शिक्षक लिखित परीक्षा भी पास कर चुके हैं। जिसका उन लोगों के पास प्रमाण पत्र मौजूद हैं।
सिस्टम से नाराज प्रशिक्षु शिक्षकों ने आगे कहा कि नियमों के अनुसार प्रमाणपत्र मिलने के अधिकतम एक महीने के अंदर उनको सहायक अध्यापक के रूप में मौलिक नियुक्ति मिल जानी चाहिए। लेकिन अधिकारियों ने नियमों व मानकों को किनारें करते हुए आज तक उनकों मौलिक नियुक्ति नहीं दी। जबकि उन लोगों को पिछले साल अगस्त में ही प्रमाण पत्र मिल गया था। इस हिसाब से सितंबर में नियुक्ति होनी चाहिए थी।
अनशनकारियों के समर्थन में संदीप पाण्डेय, आशीष पाण्डेय, अयज कुशवाहा, पुष्पेंद्र सिंह, भानु सिंह, रूचि श्रीवास्तव, गया प्रसाद तिवारी व शोहिनी शुक्ला समेत सैंकड़ों प्रशिक्षु शिक्षक मौजूद रहें।