सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश, अब मुंबई में दोबारा खुल सकेंगे डांस बार, नोट और सिक्के लुटाने की नहीं होगी अनुमति

सुप्रीम कोर्ट

आरयू वेब टीम। 

मुंबई में डांस बार को लेकर गुरुवार सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने शर्तों के साथ डांस बार खोलने को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को लाइसेंस पाने के सख्त नियमों पर थोड़ी ढील देने को कहा है। कोर्ट ने डांस परफॉर्मेंस के लिए साढ़े पांच घंटे का समय बरकरार रखा है।

साथ ही डांस बार में पैसों की बारिश करने की इजाजत नहीं होगी। अदालत ने कहा कि मुंबई के डांस बार में सीसीटीवी कैमरों की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि ये लोगों की निजता यानी प्राइवेसी का उल्लंघन करते हैं। इस मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साल 2005 से सरकार की ओर से एक भी डांस बार को लाइसेंस नहीं दिया गया।

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वर्तमान नियमों के आधार पर डांस बार पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। इससे पहले पिछले साल 30 अगस्त को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं, इस मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि नया कानून संवैधानिक दायरे में आता है और यह गैर कानूनी गतिविधियों और महिलाओं का शोषण भी रोकता है।

हालांकि इसी मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट की ओर से कहा गया कि मुंबई में ऐसा लग रहा है कि मोरल पुलिसिंग हो रही है। कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार के कड़े नियमों की वजह से मुंबई में एक भी डांस बार का परिचालन नहीं हो पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में कहा था कि समय के साथ अश्‍लीलता की परिभाषा भी बदल गई है। पुरानी फिल्मों में चुंबन और प्यार भरे दृश्यों के लिए दो फूलों का मिलना और दो पंछियों का चहचहाना दिखाया जाता था, लेकिन अभी के समाज में लिव-इन को भी कुछ हद तक स्वीकार किया जाता है।

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देश की सबसे बड़ी अदालत में सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई डांस बार पर लगाए गए प्रतिबंधों को न्यायसंगत ठहराते हुए कहा था कि ये नियम इन क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए है। दरअसल, डांस बार मालिकों को किसी भी धार्मिक या शैक्षणिक संस्था से एक किलोमीटर की दूरी पर डांस बार बनाने का आदेश दिया गया था, जिसके बाद डांस बार मालिकों की ओर से इस तरह की प्रतिबंध पर आपत्ति जताई गई और मामला कोर्ट में पहुंच गया। उन्होंने दावा किया है कि बड़े शहरों में इन नियमों का पालन करना संभव नहीं है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि 11.30 बजे से डांस बार को बंद करने का एक और प्रतिबंध भेदभावपूर्ण है, जबकि केंद्र सरकार ने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को चौबीसों घंटे चलाए जाने की अनुमति दे रखी है। डांस बार मालिकों ने सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उनका लाइसेंस रिन्यूवल नहीं किया जा रहा है। नए लाइसेंस भी नहीं दिए जा रहे।

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