आरयू वेब टीम। मुंबई में चल रही विपक्षी गठबंधन इंडिया की बैठक के बीच मोदी सरकार ने भी देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की ओर कदम बढ़ाया हैं। संसद के विशेष सत्र में इस संबंध में बिल लाने की चर्चाओं के बीच केंद्र सरकार ने एक समिति बनाई है। जिसमें देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। ये समिति एक राष्ट्र एक चुनाव की संभावनाओं को तलाशने का काम करेगी।
वहीं विपक्ष ने मोदी सरकार की नियत पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। विपक्षी दलों के मानना है कि मोदी सरकार की कारस्तानी जनता के बीच उजागर हो चुकी है। ऐसे में जनता की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए सरकार तय समय से पहले चुनाव कराने के लिए हथकंडे अपना रही है। कांग्रेस के कद्दावर नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी इस पर सवाल उठाए हैं और पूछा है कि आखिर देश में एकसाथ चुनाव कराने की इतनी जल्दी क्या है।
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वहीं मोदी सरकार की ओर से इस समिति का अजेंडा अभी बताया नहीं गया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, ये समिति एक राष्ट्र एक चुनाव पर ही काम करेगी। सरकार की ओर से 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के एक दिन बाद ये कदम सामने आया है। इसी साल नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव हैं।
सरकार के इस कदम से आम चुनाव व कुछ राज्यों के चुनाव को आगे बढ़ाने की संभावनाएं भी खुली हैं, जो लोकसभा चुनावों के बाद में या साथ होने हैं। उदाहरण के लिए, जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से चुनाव लंबित हैं और अब केंद्र सरकार ने कहा भी है कि वह चुनाव कराने के लिए तैयार है। हालांकि कई राज्य ऐसे भी हैं जिनमें कुछ समय पहले ही चुनाव हुआ है ऐसे में यहां फिर से चुनाव कराना बहुत मुश्किल होगा।
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सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनावी सरगर्मियों के तेज होने के बीच संसद के विशेष सत्र के दौरान ‘एक देश एक चुनाव’ की दिशा में मोदी सरकार कदम बढ़ा सकती हैं या फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड का बिल भी संसद में पेश किया जा सकता है।