आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को एक बार भाजपा सरकार पर हमला बोला है। सपा मुखिया ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि भाजपा सरकार का डबल इंजन आठ सालों से यार्ड में ही खड़ा है। योगी सरकार के चार साल और इसी अवधि में केंद्र के चार वर्षो में डबल इंजन टस से मस नहीं हुआ। विकास योजनाएं प्लेटफार्म पर इंतजार में हैं, कोई पूछने वाला नहीं।
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि भाजपा सरकार अधिकारियों की सेटिंग करती रहती है। जब कुछ करना नहीं तो भाजपा को अधिकारी-अधिकारी खेलना ही भाता है। एक अधिकारी दिल्ली से लखनऊ भेजे गए उन्हे काम नहीं करने दिया गया। इतना ही नहीं बंगाल में काम कर रहे अधिकारी को काम करने नहीं दिया जा रहा। पश्चिम बंगाल में चुनी हुई सरकार के साथ चुनाव में करारी हार का बदला भाजपा निचले स्तर पर आकर ले रही है।
जो कि संघीय ढांचे की मूल भावना की अवहेलना और लोकतंत्र के विरूद्ध भाजपा की साजिश की रणनीति है, जबकि निहित स्वार्थवश भारी बहुमत में आई ममता सरकार को परेशान किया जा रहा है। एक छोटे मुद्दे को बेवजह प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर भाजपा ने अपनी किरकिरी कराई है।
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इतना ही नहीं इस दौरान सपा सुप्रीमो ने राज्य के राज्यपालों को भी निशाने लेते हुए कहा कि भाजपा बदले की भावना से प्रेरित होकर राज्यों के साथ जो व्यवहार कर रही है उसमें राज्यपालों की भूमिका विचारणीय है। कायदे से उत्तर प्रदेश हो या पश्चिम बंगाल राज्यपालों की भूमिका संविधान की परिधि में ही होनी चाहिए पर ऐसा भाजपा राज में नहीं होता है। दोनो की कसौटियां भिन्न है। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल महोदय अनावश्यक हस्तक्षेप करते रहते है, जबकि उत्तर प्रदेश में राज्यपाल की सिर्फ सलाहकार की भूमिका है। यह अलग बात है कि चाहे कानून-व्यवस्था की बदहाली हो या स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा अथवा कोरोना-फंगस से निपटने में परले दर्जे की लापरवाही यहां राज्यपाल जी या तो स्वतः अनभिज्ञ रहती हैं या फिर राज्य सरकार उनकी सलाहों को अहमियत नहीं देती है।