ममता बनर्जी ने दिसंबर तक समूची आबादी को वैक्सीनेट करने के मोदी सरकार के दावे को बताया जुमला

निशुल्क वैक्सीन
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी।

आरयू वेब टीम। ममता सरकार व केंद्र सरकार लगातार एक दूसरे पर हमला बोल रही है। इसी क्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस साल के अंत तक 18 साल से अधिक उम्र की समूची आबादी को वैक्सीनेट कर लेने के मोदी सरकार के दावे को जुमला बताया और जोर दिया कि मोदी सरकार को सभी राज्यों को निशुल्क वैक्सीन देने चाहिए।

साथ ही मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए ममता ने कहा, ‘‘यह दावा महज एक जुमला है। केंद्र इस तरह की चीजें कहता रहता है। बिहार (विधानसभा) चुनाव के समय उन्होंने चुनाव के बाद समूची आबादी का टीकाकरण करने का वादा किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ।’’ पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा कि कोविड-19 रोधी वैक्सीन की खुराकों के बीच अंतराल को देखते हुए सभी योग्य उम्र समूहों के वैक्सीनेशन की प्रक्रिया के संपन्न होने में छह महीने से एक साल तक लग जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने वैक्सीन खरीदने के लिए 150 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन राज्य की 10 करोड़ से ज्यादा आबादी में अब तक केवल 1.4 करोड़ आबादी का वैक्सीनेशन हो पाया है। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र राज्यों को टीके नहीं भेज रहा। थोड़े से वैक्सीन भेजे जाते हैं जो कुछ ही दिन में खत्म हो जाते हैं। राज्य सरकारों को निशुल्क वैक्सीन देने चाहिए।’’ केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा था कि इस साल के अंत तक देश की समूची वयस्क आबादी का टीकाकरण हो जाने की संभावना है।

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ममता बनर्जी ने इस दौरान दावा किया कि आलापन बन्दोपाध्याय अध्याय अब बंद हो चुका है, लेकिन उन्होंने पुरजोर शब्दों में कहा कि मोदी सरकार में शामिल नहीं होने को लेकर उपजे विवाद के मसले पर उनका प्रशासन पूर्व मुख्य सचिव के साथ खड़ा है। ममता ने एक सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा, ”आलापन बन्दोपाध्याय अध्याय अब समाप्त हो चुका है। उनके आस पास जो कुछ भी घटित हो रहा है, पश्चिम बंगाल सरकार उसमें अलपन बंदोपाध्याय को पूरा समर्थन देगी ।”

आलापन बन्दोपाध्याय 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन राज्य ने हाल ही में उनके कार्यकाल को तीन महीने के लिए बढ़ाने की अनुमति मांगी थी और मिल भी गयी, क्योंकि उन्होंने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन चक्रवाती तूफान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई एक समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री और राज्य के मुख्य सचिव के भाग नहीं लेने को लेकर विवाद पैदा होने के तुरंत बाद उन्हें केंद्र की ओर से तबादले का निर्देश सौंपा गया था।

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