आरयू वेब टीम। भारतीय वायुसेना का ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाले राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप के अंबाला एयरबेस पहुंचने को लेकर जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। जबकि सुरक्षा की दृष्टि से इलाके में धारा 144 के साथ कई अन्य गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
राफेल की आगवनी को लेकर अंबाला जिला प्रशासन ने अंबाला एयर फोर्स स्टेशन के आसपास के इलाके में धारा 144 लगा दी है। राफेल विमानों की लैंडिंग के दौरान छतों पर लोगों के एकत्र होने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। वहां आस-पास किसी भी तरह की फोटोग्राफी वीडियोग्राफी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही वहां चार से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर भी मनाही है।
इस संबंध में अधिकारियों ने स्थानीय मीडिया से बताया कि पांच राफेल विमान सोमवार की शाम को करीब सात घंटों की उड़ान के बाद संयुक्त अरब अमीरात के अल दाफरा हवाईअड्डे पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि फ्रांस से भारत आ रहे इन लड़ाकू विमानों के लिये यही एक स्टॉपेज था। राफेल विमान उस गोल्डन एरोज स्क्वॉड्रन का हिस्सा होगा जिसकी कमान 1999 कारगिल युद्ध के दौरान पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने संभाली थी।
हवा में ईंधन भरने की आई तस्वीर सामने
फ्रांस से भारत आ रहे पांच राफेल लड़ाकू विमानों में एक फ्रांसीसी टैंकर ने 30 हजार फुट की ऊंचाई पर बीच हवा में ही ईंधन भरा। फ्रांस में भारतीय दूतावास द्वारा मंगलवार को जारी तस्वीरों में यह जानकारी दी गई। भारतीय वायुसेना ने ट्वीट किया, “भारतीय वायुसेना हमारे राफेल विमानों की घर वापसी की यात्रा में फ्रांसीसी वायुसेना द्वारा उपलब्ध कराए गए सहयोग के लिये उनकी सराहना करती है।”
सुरक्षा पुख्ता, परिंदे भी नहीं मार सकते पर
अंबाला एयरफोर्स की सुरक्षा राफेल के चलते बढ़ा दी गई है। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन के चारों ओर के दायरे को मजबूत कर दिया गया है। इतना ही नहीं एयरफोर्स की सभी चेक पोस्ट पर कर्मचारियों को तैनात कर पल-पल की जानकारी रखी जा रही है। इतना ही नहीं घुसपैठियों को देखते ही गोली मारने के आदेश भी जारी किए गए हैं। तीन किलोमीटर के दायरे में ड्रोन उड़ाने पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।
बता दें कि भारत ने वायुसेना के लिये 36 राफेल विमान खरीदने के लिये 23 सितंबर 2016 को फ्रांस की विमानन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी डसो एविएशन के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था। वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था। राफेल विमानों की पहली स्क्वाड्रन को अंबाला वायुसैनिक अड्डे पर तैनात किया जाएगा।
भारत के सामने रक्षा चुनौतियां और उन चुनौतियों से निपटने में अंबाला के महत्व से मिल जाता है। मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर में भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर (एलओसी) तथा लद्दाख में भारत और चीन बॉर्डर पर मुख्य चुनौती है। अंबाला से यह दोनो जगह काफी नजदीक हैं। एलएसी के उस पार चीन का जो नजदीकी एयरबेस उसकी अंबाला से लगभग 300 किलोमीटर दूरी है, जबकि अंबाला के पास पाकिस्तान के नजदीकी एयरबेस की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है। जरूरत पड़ने पर राफेल विमान मिनटों में इन दोनो एयरबेस को अपना निशाना बना सकता है। चीन और पाकिस्तान के पास इस समय जो एडवांस लड़ाकू विमान हैं उनके मुकाबले राफेल काफी एडवांस है।
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