भारत बंद: मांगों को लेकर ट्रेड यूनियन के 20 करोड़ कर्मचारी हड़ताल पर, सड़कों पर उतरे, रोकी ट्रेनें

भारत बंद
प्रदर्शन के दौरान सड़को पर उतरे प्रदर्शनकारी।

आरयू वेब टीम। 

दस ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आठ और नौ जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इस हड़ताल का असर मंगलवार सुबह से ही देश के कई राज्यों में नजर आ रहा है। कई राज्यों में प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर उतरकर रास्ते जाम किए और ट्रेनें भी रोकीं।

बंद के दौरान पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में बारासात के चंपाडाली इलाके में एक स्कूल बस पर पथराव किया गया और हड़ताल समर्थकों ने एक सरकारी बस में भी तोड़फोड़ की। पश्चिम वर्द्धमान जिले के जमुरिया में प्रदर्शनकारियों ने एक बस में तोड़फोड़ की। राज्य के कुछ इलाकों में पुलिस और हड़ताल समर्थकों के बीच हाथापाई भी हुई।

इस बंद में देश के कई किसान और शिक्षक संघ ने भी हिस्‍सा लिया है। इस दौरान सड़कों पर परिवहन, बैंकों में कामकाज और स्‍कूलों में पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। ट्रेड यूनियनों की मांगों में वेतन वृद्धि, रोजगार, पदोन्‍नति के साथ ही न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में बढ़ोतरी सहित कई अन्‍य मांगें भी शामिल हैं।

पश्चिम बंगाल-

वहीं इस बंद पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चेतावनी का बंगाल में असर नहीं दिख रहा है। कई संगठन सड़कों पर उतर आए हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे लाइन को ब्लॉक कर दिया है, आज सुबह छह बजे से ही हावड़ा और सियालदह डिवीजन में जगह-जगह बंद समर्थकों ने ट्रेन रोककर प्रदर्शन किया। कई स्थानों पर ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर पर केले के पत्ते डालकर ट्रेन संचालन ठप कर दिया गया।

ओडिशा-

ओडिशा के भुवनेश्वर में व्यापार संघ द्वारा बुलाए गए राष्ट्रीय राजमार्ग-16 पर भारी विरोध प्रदर्शन के कारण यातायात की आवाजाही प्रभावित हो गई है। लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इस संबंध में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि इस हड़ताल में किसान और बैंक कर्मी भी शामिल हैं। ट्रेड यूनियन कानून 1926 में संशोधन का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार कथित पारदर्शिता के नाम पर गलत कर रही है।

मुंबई-

वहीं मुंबई में बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति और यातायात (बेस्ट) के 33,000 से अधिक कर्मचारी अपनी कई मांगों को लेकर मध्यरात्रि से हड़ताल पर चले गए हैं, जिससे शहर में बस सेवा ठप पड़ गई। इससे रोजाना यात्रा करने वाले कम से कम 25 लाख लोग प्रभावित हुए।

बिहार-

बिहार में प्रभावित जिलों में हड़ताल के समर्थन में वामदलों के लोग सड़क पर उतरे हैं और आवागमन को बाधित कर रहे हैं। आशा कार्यकर्ता सड़क पर उतर आई हैं। वे अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी कर रही हैं। यातायात को भी बाधित किया गया है। उधर आरा में ट्रेड यूनियन के लोगों ने कार्यालय को बंद रखा है।

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दिल्‍ली-

वहीं दिल्ली में भी हड़ताल का असर देखा गया। यहां ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (एआईसीसीटीयू) के सदस्यों ने पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन किया और निजीकरण सहित और भी कई मांगों का विरोध किया। राजधानी में जगह-जगह यातायात भी ठप सा हो गया है। इसके साथ ही कर्नाटक, शिमला में भी इस हड़ताल का व्यापक असर नजर आ रहा है, प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं और आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

दस ट्रेड यूनियनों आईएनटीयूसी, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, एआईसीसीटीयू, यूटीयूसी, टीयूसीसी, एलपीएफ और सेवा ने संयुक्त रूप से आम हड़ताल की घोषणा की है। इन संगठनों का आरोप है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने श्रमिक कल्याण के कदम उठाने के बजाए दमनकारी नीतियां अपनाईं।

ये 10 श्रमिक संगठन हड़ताल में हुए शामिल-

आईएनटीयूसी, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीआईटीयू, एआईटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी।

मुख्य मांगें-

सार्वजनिक वितरण प्रणाली सार्वभौमिक हो, उपभोक्‍ता वस्तुओं के वायदा व्यापार पर रोक लगे,  मजदूरों का न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये मिले, स्थायी प्रकृति के काम में ठेकेदारी समाप्त हो, समान काम समान वेतन लागू हो, नरेंद्र मोदी दो करोड़ युवाओं को नौकरी का वादा पूरा करें, स्वामीनाथन कृषि आयोग की अनुशंसा को लागू किया जाए, श्रमिका का डेमोक्रेटिक राइट बहाल किया जाए।

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