आरयू ब्यूरो,लखनऊ। भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने शनिवार को लखनऊ में कहा कि महीने भर से हमारी समाजवादी पार्टी के साथ चर्चा चल रही थी। मैंने अखिलेश यादव से मुलाकात भी की थी, लेकिन अखिलेश को दलितों की जरूरत नहीं है। दो महीने बाद कल उन्होंने अपमानित किया वो दुखद है। साथ ही चंद्रशेखर ने सपा सुप्रीमो पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि अखिलेश यादव सिर्फ दलितों का वोट चाहतें हैं, वह दलितों को गठबंधन में लीडरशिप नहीं देना चाहते हैं।
लखनऊ में आयोजित प्रेसवार्ता में आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने कहा कि अंत समय में मुझे लगा कि अखिलेश यादव को दलितों की जरूरत नहीं है। वो इस गठबंधन में दलित नेताओं व दलित लीडरशिप को नहीं चाहते। वह चाहते हैं कि दलित उनको वोट करें, लेकिन मेरा डर ये था कि दलित उनको वोट कर देंगे तो कल जो उनके उपर आरोप पिछली सरकार में रहा, क्योंकि मान्यवर कांशीराम को मैं नेता मानता हूं। उन्होंने भरोसा करके नेता जी को (मुलायम सिंह यादव) मुख्यमंत्री बनाया फिर क्या हुआ आपके सामने है।
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इसी डर को समाप्त करने के लिए सारे बुद्धिजीवीयों ने हमने चर्चा की सबने कहा कि आप खुलकर बात करिए कि कल को सरकार बनने के बाद हम अपने विषयों पर फिर से बात न कर पाएं। दलितों के साथ शोषण हों, उनके घर जलाए जाए, उनकी जमीन हतयायी जाए, उनको पीटा व सताया जाए महिलाओं के साथ रेप हो।
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चंद्रशेखर ने आगे कहा कि एक महीना दस दिन से उनकी अखिलेश के साथ बात चल रही थी उन्होंने कहा था कि आप परेशान मत हो, मैं प्रमाणित करता हूं। चंद्रशेखर ने आगे बताया कि वह सब चीजें दरकिनार कर उनके घर गये हुए थे, उन्होंने सपा मुखिया से अपील की थी। अखिलेश यादव ने कल शाम तक बताने को कहा था, लेकिन अब तक जवाब नहीं आया है।
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चंद्रशेखर ने आरोप लगाते हुए कहा कि शायद अखिलेश सामाजिक न्याय का मतलब नहीं जानते हैं। अब वो यह तय करके बैठे हैं कि उन्हें दलितों की लीडरशिप नहीं चाहिए। इसलिए हमने तय किया है कि हम सपा के साथ गठबंधन में नहीं जा रहे हैं।
गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आजाद समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके भाजपा को हराने की बात कही थी। आजाद, शुक्रवार को अखिलेश यादव से मिलने सपा के दफ्तर भी पहुंचे थे। माना जा रहा था कि सपा के साथ गठबंधन के बाद चंद्रशेखर खुद भी चुनावी मैदान में उतर सकते हैं, लेकिन अब चंद्रशेखर के ताजा बयान के अनुसार, अखिलेश को दलितों की लीडरशिप नहीं चाहिए।