आरयू वेब टीम।
शिवसेना बुधवार को एक बार फिर भाजपा पर भड़की है। शिवसेना ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से हाथ मिलाने के बाद भाजपा को छात्र नेता कन्हैया कुमार की आलोचना करने का नैतिक अधिकार नहीं है। इस दौरान शिवसेना ने सत्तारूढ़ बीजेपी को नसीहत देते हुए कहा कि उसे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ राजद्रोह मामले का राजनीतिक लाभ नहीं उठाना चाहिए।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘भाजपा ने अफजल गुरू को स्वतंत्रता सेनानी और शहीद मानने वालीं महबूबा मुफ्ती से हाथ मिलाकर सबसे बड़ा पाप किया। अब भाजपा को अपने फायदे के लिए कन्हैया के खिलाफ दर्ज राजद्रोह मामले से राजनीतिक लाभ नहीं लेना चाहिए और न ही ऐसी कोशिश करनी चाहिए।
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पार्टी ने आगे कहा कि 2008 में मुंबई आतंकवादी हमलों के दोषी अजमल कसाब जैसे आतंकवादी को भी अदालत ने अपना बचाव करने का अवसर दिया। इसी तरह कन्हैया को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। पार्टी ने आगे कहा कि यदि उसके खिलाफ लगे आरोप सही नहीं हैं, तो वे अदालत में टिक नहीं पाएंगे।
पार्टी ने कहा, ‘कन्हैया कुमार अच्छे वक्ता हैं, जो बागी और बेरोजगार युवाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, तब भी वह अफजल गुरू की प्रशंसा करते हुए या कश्मीर की आजादी के नारे नहीं लगा सकते। वैसे भी, भाजपा को कन्हैया कुमार की निंदा करने का क्या नैतिक अधिकार है?
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वहीं शिवसेना ने महाराष्ट्र में भाजपा के मंत्री गिरीश महाजन ने हाल में दावे पर कटाक्ष करते हुए किया कि महाजन ने यह दावा किया था कि उन्हें जहां भी भेजा जाएगा, वह अपना ‘जादू’ दिखाएंगे और चुनाव में अपनी पार्टी की जीत सुनिश्चित करेंगे। हम भाजपा से अनुरोध करते हैं कि वह जेएनयू में राष्ट्र विरोधियों को हराने के लिए उन्हें वहां भेजे, लेकिन उन्हें बता दे कि जेएनयू में चुनाव ईवीएम के माध्यम से नहीं होते हैं।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार एवं अन्य के खिलाफ सोमवार को अदालत में आरोप पत्र दायर किया था और कहा था कि फरवरी 2016 में जेएनयू परिसर में वह एक रैली का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने राजद्रोह के नारों का समर्थन किया था।