आरयू वेब टीम। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर भाजपा को निशाने पर लिया है। राहुल ने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा ‘‘शोर बहुत मचाती’’ है, लेकिन उसमें संविधान को ‘बदलने’ का साहस नहीं है। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि सच्चाई और देश की जनता उनके साथ है।
राहुल गांधी मुंबई में महात्मा गांधी के आवास मणि भवन से अगस्त क्रांति मैदान तक ‘न्याय संकल्प पदयात्रा’ करने के बाद यहां एक सभा को संबोधित कर रहे थे। अगस्त क्रांति मैदान में ही ब्रिटिश राज से आजादी के लिए भारत के संघर्ष के दौरान 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था।उन्होंने कहा, “भाजपा बहुत शोर मचाती है, लेकिन उसमें संविधान को बदलने का साहस नहीं है। सच्चाई और लोगों का समर्थन हमारे साथ है।”
साथ ही कहा कि अगर भारत मोहब्बत का देश है, तो नफरत क्यों फैलाई जा रही है? हम कहते हैं कि भाजपा नफरत फैलाती है, लेकिन इस नफरत का कोई आधार होना चाहिए। इस देश में हर दिन गरीबों, किसानों, दलितों, महिलाओं और युवाओं के खिलाफ अन्याय हो रहा है। यह बात राहुल गांधी ने मुंबई में कही।
दरअसल भाजपा सांसद अनंतकुमार हेगड़े ने हाल में कहा था कि उनकी पार्टी को संविधान में संशोधन करने के लिए और ‘कांग्रेस द्वारा इसमें जोड़ी गईं अनावश्यक चीजों को हटाने के लिए’ संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। इसके बाद बीजेपी ने हेगड़े की टिप्पणियों से पैदा हुए विवाद को शांत करने की कवायद में इसे उनका ‘‘निजी विचार’’ बताया और उनसे स्पष्टीकरण मांगा था।
वहीं राहुल ने कहा कि मौजूदा लड़ाई केवल भाजपा और कांग्रेस के बीच नहीं बल्कि दो अभिव्यक्तियों के बीच है। उन्होंने कहा, कोई सोचता है कि देश एक केंद्र से चलना चाहिए, जहां एक व्यक्ति के पास सारा ज्ञान है, इसके विपरीत, हम सोचते हैं कि शक्ति का विकेंद्रीकरण होना चाहिए और लोगों की आवाज सुनी जानी चाहिए। राहुल ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के पास आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) की डिग्री है तो इसका यह मतलब नहीं है कि उसके पास किसी किसान के मुकाबले ज्यादा ज्ञान है, लेकिन भाजपा इस तरह काम नहीं करती है।
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आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सोच है कि सिर्फ एक व्यक्ति के पास ज्ञान है…किसान, मजदूर और बेरोजगार युवाओं को कोई ज्ञान नहीं है। इससे पहले शनिवार को कांग्रेस सांसद ने मध्य मुंबई में डॉ. भीमराव आंबेडकर के स्मारक ‘चैत्यभूमि’ पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर और संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपनी 63 दिवसीय ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का समापन किया। यह यात्रा 14 जनवरी को संघर्षग्रस्त मणिपुर से शुरू हुई थी।