आरयू ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में चल रहे घोटाले दर घोटाले में योगी सरकार की चुप्पी घोटालों को प्रोत्साहित कर रही है। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और व्यक्तियों को बचाने के लिए लीपापोती और जवाबदेह मंत्रियों पर सरकार की मेहरबानी भी संदेह पैदा कर रही है। ये आरोप रविवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार पर लगाएं हैं।
आज एक बार फिर घोटालों को लेकर योगी सरकार को घेरते हुए अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बिजली विभाग के कर्मचारियों के पीएफ का विवादित कंपनी डीएचएफएल में भविष्य निधि का इंवेस्टमेंट में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के 45 हजार से अधिक कर्मचारियों की सामान्य भविष्य निधि और अंशदायी भविष्य निधि के 2267 करोड रूपये फंस गए हैं।
जारी नहीं किया गया सीबीआइ जांच का सिफारिश पत्र
उन्होंने आगे कहा कि दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की गयी, किंतु उर्जा मंत्री पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। प्रमुख सचिव के जीओ से स्पष्ट है की निवेश करते समय नियमों की अनदेखी हुई। सीबीआइ जांच से तमाम उच्चाधिकारियों व मंत्री की संलिप्तता उजागर होने के डर से सरकार के द्वारा सीबीआइ जांच का सिफारिश पत्र अभी तक जारी नहीं किया गया।
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वहीं लल्लू ने मांग करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अधिकारीगण आलोक कुमार, संजय अग्रवाल, विशाल चौहान, अर्पणा यू तथा डीएचएफएल बोर्ड के निदेशक व अधिकारियों से कब पूछताछ और कार्यवाही करेगी इसको स्पष्ट करना चाहिए। साथ ही प्रदेश सरकार अनावश्यक रूप से कार्यवाही को लटकाने की जगह सक्रियता के साथ घोटाले दर घोटाले की जांच कर संबंधित विभागों के बड़े अधिकारियों के साथ ही मंत्रियों पर कार्यवाही कर सरकार को जनता के प्रति जवाबदेही और पारदर्शिता के साथ सुशासन की मंशा स्पष्ट करनी चाहिए।
कैबिनेट और वित विभाग के अनुमोदन के बिना…
इस मामले में कर्मचारी संगठनों के साथ हुए समझौते पर उन्होंने कहा कि जीओ पर क्या उर्जा मंत्री, मुख्यमंत्री और केबिनेट की संतुति है, यदि नहीं तो यह कर्मचारियों के साथ एक बड़ा धोखा होगा, क्योंकि कैबिनेट और वित विभाग के अनुमोदन के बिना इतने बड़े बजट की उपलब्धता और प्रयोजन संभव नहीं है।
…तो पूरे प्रदेश में सैकड़ों करोड़ का घोटाला
इसी तरह से होमगार्ड वेतन घोटाला प्रदेश के लगभग सभी जिलों में है और फर्जी हाजिरी लगाकर भुगतान कराया गया है। सरकार ने जानबूझ कर गौतमबुद्व नगर के एसएसपी के द्वारा दस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कराने की मांग को स्वीकृत करने में देर किया और आरोपितों के हौसले को बुदंल किया गया। जिसका नतीजा वहां के कागजातों में आग लगने की घटना है। यदि एक जिले में दो माह में घोटाले की राशि आठ लाख है तो पूरे प्रदेश में यह सैकड़ों करोड़ का घोटाला है।