आरयू ब्यूरो, लखनऊ। एक ओर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पर कोरोना का कहर लगातार जारी है। दूसरी तरफ सरकार, जिला प्रशासन व स्वास्थ विभाग के तमाम दावों के बीच अधिकारियों की लापरवाही व कोरोना के चलते लखनऊ के हालात कितने बिगड़ चुके हैं, इसका खुलासा मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुए योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक के एक पत्र ने कर दिया है। इस लेटर में उन्होंने प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के अपर मुख्य सचिव और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को लखनऊ के हालात के बारे में चिंता व्यक्त की है और कहा है कि अगर हालात जल्द न सुधरे तो फिर से लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है।
वायरल हो रहे इस अति गोपनीय पत्र में ब्रजेश पाठक ने कहा है मरीजों को एंबुलेंस मिलने में भी पांच से छह घंटे का समय लग जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की तमाम खामियों को उजागर करने के साथ ही खुद का अनुभव भी साझा करते हुए कहा है कि उनकी विधानसभा क्षेत्र के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. योगेश प्रवीन की सोमवार को अचानक तबीयत खराब हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने खुद सीएमओ से फोन पर बात की, लेकिन फिर भी घंटों तक एंबुलेंस नहीं मिल पाई और डॉ. योगेश प्रवीन का निधन हो गया। 12 अप्रैल को लिखे गए अपने गोपनीय पत्र में कैबिनेट मंत्री ने पदमश्री की मौत के लिए सीधे तौर पर समय से उपचार नहीं मिलने को जिम्मेदार ठहराया है। कैबिनेट मंत्री के इन गंभीर आरोपों से भरे इस पत्र के वायरल होते ही हड़कंप मच गया है।
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सीएमओ कार्यालय का हाल बयान करते हुए कानून मंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि पहले सीएमओ कार्यालय का फोन तक नहीं उठता था, लेकिन शिकायतों के बाद कॉल तो रिसीव की जा रहीं हैं, लेकिन सकारात्मक काम अब भी नहीं किया जा रहा।
चार से सात दिन में मिल रहीं कोरोना की रिपोर्ट
मंत्री के अनुसार कोरोना मरीजों की जांच रिपोर्ट मिलने में भी चार से सात दिन का समय लग जा रहा। सीएमओ ऑफिस से भर्ती स्लिप मिलने में भी दो से तीन दिन का समय लग जा रहा है।
स्थिति देख खुद जा रहा था कार्यालय…
ऐसी स्थिति देख आठ अप्रैल को मैं खुद सीएमओ के कार्यालय जा रहा था, लेकिन अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य द्वारा दिए गए सुधार के आश्वासन पर मैं सीएमओ कार्यालय नहीं गया, लेकिन स्थिति में अब भी सुधार नहीं हुआ है।
सैकड़ों फोन आ रहें, नहीं मिल रहा इलाज
अपने पत्र की शुरूआत में ब्रजेश पाठक ने साफ तौर पर कहा है कि लखनऊ में इस समय स्वास्थ्य सेवाओं का अत्यंत चिंताजनक हाल है। पिछले एक हफ्ते से उनके पास सैकड़ों ऐसे फोन आ रहे हैं, जिन्हें समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा। उन्होंने पत्र में ये भी दावा किया है कि कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट मिलने से चार से सात दिन का समय लग रहा।
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हर दिन जांच के लिए चाहिए 17 हजार किट, जबकि…
वर्तमान में रोज चार से पांच हजार कोरोना संक्रमित लखनऊ में मिल रहें हैं। ऐसे में कोविड के अस्पतालों में बेड की संख्या काफी कम है। यहां के प्राइवेट पैथोलॉजी सेंटरों में कोरोना की जांच बंद करा दी गयी है, जबकि सरकारी अस्पतालों में जांच में कई दिनों का समय लग जा रहा है। बिना नाम लिए हुए ब्रजेश पाठक ने पत्र में कहा है कि चिकित्सा विभाग के अधिकारी से एक हफ्ते पहले मेरी बात हुई थी, जिन्होंने बताया था कि उन्हें हर दिन 17 हजार किट जांच के लिए चाहिए, जबकि दस हजार किट ही मिल पा रही है। ऐसे हालात में मेरा अनुरोध है कि कोरोना के अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड की संख्या व कोरोना के जांच की संख्या बढ़ाई जाए। जांच किट पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराई जाए।
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प्राइवेट जांच शुरू कराएं, 24 घंटों में मिले रिपोर्ट
इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों, संस्थानों व पैथोलॉजी फिर से कोरोना की जांच शुरू कराई जाए। पहले की ही तरह कोविड के रैंडम टेस्ट शुरू कराएं तथा आरटीपीसीआर की जांच रिपोर्ट मरीज को 24 घंटें में उपलब्ध कराएं। आइसीयू की संख्या बढ़ाते हुए गंभीर रोगियों को तुरंत भर्ती करने की सुविधा शुरू करें व कोरोना के मरीजों को लगने वाले इंजेक्शन को भी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराएं।
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अन्य गंभीर मरीजों की स्थिति और भी दयानीय
वहीं कोरोना के अलावा जो मरीज हार्ट, किडनी, लिवर, कैंसर, डायलिसिस व अन्य गंभीर बिमारियों से ग्रस्त हैं, उनकी और भी दयानीय स्थिति है, क्योंकि कोविड के चलते उन्हें समय से उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसे मरीजों को भर्ती करने का प्रबंध भी हमें गंभीरता से करना है। उन्होंने कहा कि अगर लखनऊ में हालातों पर जल्द ही नियंत्रण नहीं किया गया, तो कोरोना की रोकथाम के लिए लखनऊ में लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है।