आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। बीटीसी के चतुर्थ सेमेस्टर का पेपर लीक होने के मामले में शनिवार को यूपी एसटीएफ की टीम ने प्रिंटिंग प्रेस मालिक समेत दो लोगों को गिरफ्तार करते हुए बड़ा खुलासा किया है। एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि पेपर प्रिंटिंग की निविदा से लेकर छपाई और सेंटर पहुंचाने तक में जगह-जगह बड़ी लापरवाही की गयी है। बीटीसी अभ्यर्थियों के भविष्य से जुड़ी इस बड़ी लापरवाही के लिए अधिकारी भी जिम्मेदार नजर आ रहें हैं, हालांकि अभी सरकार की ओर से शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।
एसटीएफ के लखनऊ स्थित मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार आज पेपर लीक करने के मामले में कौशांबी से इलाहाबाद के कर्नलगंज थाना क्षेत्र के ममफोर्डगंज स्थित अपार्टमेंट निवासी अशीष अग्रवाल और कीडगंज थाना क्षेत्र के बाई का बाग के रहने वाले अरविंद भार्गव को गिरफ्तार किया गया है। आशीष अग्रवाल ने जहां शिक्षा विभाग से पेपर प्रिंटिंग का ठेका लिया था, वहीं मानकों दर किनार कर अरविंद भार्गव को पेपर प्रिंटिंग का काम दे रखा था। अरविंद ने भी अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करते हुए बड़ी गड़बड़ी और लापरवाही की और जहां पेपर के प्रिंटिंग का काम चल रहा था, वहां पर किसी भी मानकों का पालन नहीं किया।
कुछ इस तरह से था पूरा घटनाक्रम-
एसटीएफ के अधिकारियों के अनुसार बीटीसी प्रशिक्षण-2015 के चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा आठ अक्टूबर को होनी थी, लेकिन सात अक्टूबर को प्रथम प्रश्न-पत्र व्हाट्सएप पर वायरल हो गया। जिसके बाद द्वितीय प्रश्न-पत्र से लेकर आठवें प्रश्न-पत्र तक के भी व्हाट्सएप पर वॉयरल होने की सूचना प्राप्त होने लगी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए आइजी एसटीएफ अमिताभ यश और एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह ने उपाधीक्षक एसटीएफ विनोद कुमार सिंह के नेतृत्व में एसटीएफ फील्ड इकाई, वाराणसी और इलाहाबाद को अभिसूचना सकंलन एवं कार्यवाही के लिए निर्देश दिया था। निर्देश के बाद एसटीएफ की टीम ने 11 अक्टूबर को कौशांबी और इलाहाबाद में संदिग्धों से पूछताछ और छापेमारी शुरू की थी।
एसटीएफ की छानबीन में सामने आया कि उक्त परीक्षा के सभी प्रश्न पत्र आऊट हो गए थे। जिसे पेपर लीक गैंग से जुड़ें लोगों ने तमाम माध्यमों से अभ्यर्थियों तक पहुंचाया था।
लंबें समय से चल रहा था दीप्ति इण्टरप्राइजेज का सिक्का
एसटीएफ ने शिक्षा विभाग में जाकर पड़ताल की तो पता चला कि प्रश्न-पत्रों को छापने एवं परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने के लिए पिछले कई सालों से दीप्ति इण्टरप्राइजेज, बलरामपुर हाऊस, इलाहाबाद को अधिकृत किया जाता रहा है। इसी क्रम में इस साल भी सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी, इलाहाबाद द्वारा दीप्ति इण्टरप्राइजेज को अधिकृत करते हुए बीटीसी के चतुर्थ सेमेस्टर 2015 से संबंधित प्रश्न-पत्र भी छापने एवं परीक्षा केंद्रों पर पहुंचाने का काम दिया गया था।
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एसटीएफ के अनुसार दीप्ती इण्टरप्राइजेज के मूल प्रोपराइटर गिरफ्तार किए गए आशीष अग्रवाल की पत्नी दीप्ति हैं, लेकिन वास्तविक रूप से सभी काम आशीष अग्रवाल द्वारा ही किया जाता था है, जब दीप्ति इण्टरप्राइजेज के बारे में एसटीएफ ने छानबीन की तो पाया गया कि दीप्ति इण्टरप्राइजेज द्वारा जोर-जुगाड़ के दम पर मात्र प्रश्न-पत्रों को छापने की निविदा प्राप्त कर ली जाती है, लेकिन इनके द्वारा प्रिन्टिंग का सारा कार्य भार्गव प्रेस से कराया गया था। एसटीएफ ने भार्गव प्रेस के मालिक अरविंद भार्गव को भी गिरफ्तार किया है। अरविंद ही प्रिंटिंग का काम इलाहाबाद स्थित बाई का बाग और मोहित्सीन गंज स्थित प्रेसों में कराता था।
लापरवाही देखकर एसटीएफ भी रह गयी दंग
कडि़यों को जोड़ते हुए एसटीएफ की टीम जब प्रिंटिंग स्थल देखने के बाई का बाग और मोहित्सीन गंज पहुंची तो वहां के हालात देख वो भी दंग रह गयी। कर्मचारियों से पूछताछ और घटनास्थल की जांच में सामने आया कि दोनों ही प्रिंटिंग प्रेसों पर किसी भी सुरक्षा मानक का पालन नहीं किया गया था। जिन कम्प्यूटरों पर ऑफसेट ( वेब पेज) तैयार किया गया वहां पर कोई भी व्यक्ति आसानी से पहुंच सकता था। प्रेस के गेट पर चेकिंग की कोई व्यवस्था नही थी।
प्रेस में अंदर काम करने वाले कर्मचारियों के पास एन्ड्रॉएड मोबाइल फोन तक मौजूद रहते थे, जिससे वे आसानी से किसी प्रश्न-पत्र की फोटो खींचकर रख सकते हैं। इतना ही नहीं प्रिटिंग के काम में लगें सीपीयू में यूएसबी पोर्ट मौजूद था, जिससे कोई भी कर्मचारी आसानी से पेन ड्राइव/मोबाइल फोन के माध्यम से भी प्रश्न-पत्रों की कॉपी कर सकता था।
साथ ही कंप्यूटरों पर इंटरनेट कनेक्शन चल रहा था, इसके जरिए भी ई-मेल के माध्यम से भी प्रश्न-पत्रों को आसानी से ऑन लाइन कहीं भी भेजा जा सकता है। छपाई के बाद परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न-पत्रों को लिफाफे में पैक कर पहुंचाने का काम भी दीप्ति इण्टरप्राइजेज द्वारा संपादित किया गया। इसमें भी पैकेजिंग की ही कार्यवाही की गयी थी और मानक के अनुसार सील्ड पैक की कार्यवाही नही थी, जिससे किसी भी स्थान पर कोई भी पेपरों को खोलकर कॉपी करने के बाद दोबारा पैकेट में असली पेपर रख सकता था। इन तमाम गड़बडि़यों को देखते हुए समझा जा रहा है कि प्रश्न–पत्र एक नहीं बल्कि कई जगाहों से अलग-अलग लोगों द्वारा लीक कराया गया है।
एसटीएफ के निरीक्षक केसी राय ने पकड़ें गए दोनों आरोपितों को कौशांबी पुलिस के हवाले कर दिया गया है, जहां उन्हें न्यायालय में पेश किया जाएगा। वहीं अब एसटीएफ की टीम इस बात की पड़ताल गहनता से कर रही है कि प्रश्न पत्रों को कुल कितनी जगह और लोगों के द्वारा लीक कराया गया था, साथ ही इसके एवज में कितने की वसूली किन-किन लोगों से की गयी है। पूरे गैंग का राजफाश करने में एसटीएफ को कुछ दिन और लग सकते हैं।
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