आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। पिछले महीने उत्तर प्रदेश में होने वाली दारोगा भर्ती के परीक्षा का पेपर किसी और ने नहीं बल्कि परीक्षा कराने वाले इंस्टीट्च्यूट ने खुद ही एक शातिर गैंग से मिलकर कराए थे। एसटीएफ ने इस मामले में इंस्टीट्च्यूट से जुड़े तीन लोगों के अलावा ऑनलाइन परीक्षा के पेपर हैक कर वसूली करने वाले गैंग के तीन सदस्यों के साथ ही एक अभ्यार्थी को गिरफ्तार कर इस मामले का खुलासा कर दिया। एसटीएफ ने आरोपितों के पास से घटना में इस्तेमाल पांच मोबाइल और नौ सिम बरामद किए हैं।
एसटीएफ मुख्यालय पर आज मीडिया के सामने आरोपितों को पेश करते हुए आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने पत्रकारों को बताया कि 3307 दारोगाओं की पुलिस में भर्ती के लिए ऑनलाइन परीक्षा सात से 31 जुलाई तक विभिन्न जनपदों के कुल 97 परीक्षा केन्द्रो पर आयोजित की गयी थी। लेकिन पेपर लीक हो जाने के चलते इसे रद करना पड़ा था।
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उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने ऑनलाइन परीक्षा कराने के लिए मुम्बई की कम्पनी एनएसईआईटी को कॉन्टेंक्ट दिया था। जबकि एनएसईआईटी ने आगरा जिले के ओम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन से परीक्षा कराने के लिए अनुबंध किया था। जिसके बाद ओम ग्रुप के मालिक समेत तीन लोगों ने अलीगढ़ के शातिर गैंग से मिलकर पेपर लीक कराकर बेंच दिया।
एनएसईआईटी ने दर्ज कराया था मुकदमा
24 जुलाई को परीक्षा के दौरान व्हॉटसएप, फेसबुक ट्वीटर जैसे सोशल मीडिया के माध्यम से एसटीएफ को पता चला था कि 21 व 24 जुलाई को आयोजित होने वाली परीक्षा के प्रश्न पत्र को साइबर अपराधियो द्वारा हैक कर लीक कर दिया गया था। इसकी जानकारी होने पर एनएसईआईटी ने लखनऊ के साईबर क्राईम थाने में धारा- 420, 409, 467, 468, 471, 34 भादवि एवं 3/4/10 सार्वजनिक परीक्षा 1⁄4 अनुचित साधनों का निवारण 1⁄2 अधिनियम व आईटीए एक्ट की धारा 66, 66सी व 66डी के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।
दस लाख रुपए में हुई थी डील तीन लाख मिले एडवांस
पेपर लीक कराने के पीछे करोड़ों रुपए की कमाई की बात सामने आ रही है। गैंग के लोगों ने अभ्यार्थियों से पेपर के बदले में दस लाख रुपए की मांग की थी। पेपर मिलने पर तीन लाख जबकि परीक्षा बीतने पर बाकी के सात लाख रुपए देने का हर अभ्यार्थी से सौदा तय किया गया था। इस तरह के कितने अभ्यार्थी थे जिन्होंने गैंग को पैसा दिया था यह सरगना के पकड़े जाने पर साफ होने की बात कही जा रहा है।
सरगना जेल में भाई चला रहा था गैंग
एसटीएफ के एएसपी त्रिवेणी सिंह ने बताया कि गैंग का सरगना हरियाणा के पलवल जिले का निवासी सौरभ जाखड़ है जो वर्तमान में रेलवे की ऑनलाइन परीक्षा भर्ती और हत्या के एक मामले में पलवल की जिला जेल में बंद है। वर्तमान में सौरभ का सगा भाई गौरव आनन्द गैंग को चला रहा था। फिलहाल एसटीएफ उसकी तलाश कर रही है। इस गैंग का नेटवर्क उत्तर प्रदेश के अलावा, मध्य प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान में भी फैला है।
दूसरे गैंग ने भी लीक किए थे पेपर, कंपनी की भूमिका भी जांच रही एसटीएफ
एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि ऑनलाइन के अलावा एक दूसरे गैंग ने भी दारोगा भर्ती के पेपर लीक किए थे। उसी गैंग ने पकड़े गए मिरजापुर निवासी अभ्यार्थी राकेश कुमार विश्वकर्मा को भी पेपर दिए थे। एसटीएफ फिलहाल दूसरे गैंग से जुड़ें बदमाशों की तलाश करने के साथ ही पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड से परीक्षा कराने का अनुबंध करने वाली कंपनी एनएसईआईटी कंपनी के भूमिका की भी बारीकी से जांच कर रही है। आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि परीक्षा कराने के लिए कई सारे मानकों की अनदेखी करने से कंपनी पर भी शक बढ़ जाते है, हालांकि अभी इस बात की जांच की जा रही है कि कंपनी ने यह सब जानबूझकर किया या फिर ये उसकी लापरवाही का हिस्सा था।
ये लोग हुए गिरफ्तार
ओम ग्रुप का मालिक व स्पोक पर्सन गौरव आनन्द पुत्र शिव चरन, ओम ग्रुप का आईटी हेड बलराम पुत्र आशराम दोनों पलवल के करीमपुर थाना क्षेत्र हसनपुर के रहने वाले है।
पुष्पेन्द्र सिंह पुत्र भगत सिंह निवासी छाता जिला मथुरा, पुष्पेन्द्र ओम ग्रुप में इनविजीलेटर के पद पर कार्यरत था।
इसके अलावा अलीगढ़ के टप्पल थाना क्षेत्र के सूरजमल इलाके के रहने वाले दिनेश कुमार उसका सगा भाई दीपक कुमार व उन्हीं के मोहल्ले का रहने वाला गौरव खत्री पेपर लीक कर बेचने वाले गैंग के लिए काम करते थे।
जबकि एसटीएफ के हत्थे चढ़ा अंतिम व्यक्ति मिर्जापुर जिले के कछवा निवासी निसिद्ध विश्वकर्मा का बेटा राकेश कुमार विश्वकर्मा बताया गया है। राकेश ने दरोगा भर्ती के लिए गैंग से पेपर खरीदा था।
डीजीपी ने एसटीएफ को सौंपी थी जिम्मेदारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी सुलखान सिंह ने एसटीएफ को इसके खुलासे की जिम्मेदारी सौंपी थी। जबकि एसटीएफ के एसएसपी मनोज तिवारी ने एसटीएफ के एएसपी त्रिवेणी सिंह को इसके खुलासे और अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए टॉस्क दिया था। जिसपर त्रिवेणी सिंह अपनी टीम के साथ छानबीन शुरू की तो पता चला कि पेपर लीक करने वाले गिरोह के सदस्यों के तार अलीगढ, मथुरा, आगरा व इलाहाबाद के अलावा हरियाणा के पलवल जिले तक फैले हैं। जिसके बाद टीम कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए अपराधियों के गिरेबान तक पहुंच गई।
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