आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार और मनमानी समाप्त होने के योगी सरकार लाख दावें करें, लेकिन कम से कम लखनऊ विकास प्राधिकरण की कार्यप्रणाली तो नहीं बदली है, इसका उदाहरण एक बार फिर सामने आया है। गोमतीनगर के विभूतिखण्ड स्थित पार्श्वनाथ प्लेनेट के आवंटियों ने आज प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता कर एलडीए पर गंभीर आरोप लगाएं हैं।
आवंटियों ने कहा कि तय समय से आठ साल बीत जाने के बाद भी आज तक पार्श्वनाथ प्लेनेट ने उनके फ्लैट के साथ ही बिल्डिंग परिसर का काम पूरा नहीं कराया। अपने अधिकारों के लिए एलडीए के सैकड़ों चक्कर लगाने के साथ ही योगी सरकार में एलडीए उपाध्यक्ष बनाए गए प्रभु एन सिंह से लगभग 20 बार मिलने के बाद उनकी शिकायत दूर नहीं की जा सकी। एलडीए बिल्डर की बोली बोलने के साथ ही उसी के इशारें पर नाच रहा है। अब आवंटियों ने नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने न्याय की गुहार लगाने की बात कही है।
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पार्श्वनाथ वेलफेयर एसोसिएशन के मेंबर आलोक सिंह ने प्रेसवार्ता में बताया कि एलडीए ने 2005 में इस योजना को मंजूरी दी थी। जबकि तय वादे के अनुसार दिसंबर 2009 तक बिल्डर को आवंटियों के फ्लैट के साथ ही दूसरी सुविधाओें को पूरा करते हुए फ्लैट में कब्जा दे देना चाहिए था, लेकिन आज तक सैकड़ों आवंटियों को पार्श्वनाथ की ओर से फ्लैट पूरा करके नहीं दिया गया है। अधिकतर फ्लैटों से खिड़की दरवाजे समेत फिनीशिंग के तमाम काम बाकी है, बेसमेंट बरसात के दिनों में भर जाता है। इसके अलावा अन्य सुविधाएं भी अब तक नहीं मिली हैं।
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इसकी शिकायत करने पर एलडीए वीसी ने तीन बार कमेटी बनाई हैं, लेकिन हर बार कमेटी के सदस्य बिल्डर की मनचाही भाषा बोलते हुए गलत रिपोर्ट बनाकर अधिकारियों को भेजते हैं। जिसके बाद मामला ठंडा हो जाता है। पिछली बार एलडीए के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डीएम कटियार और अधिशासी अभियंता चक्रेश जैन को रिपोर्ट बनानी थी। अधिशासी अभियंता ने मौके पर आना भी मुनासिब नहीं समझा, जबकि डीएम कटियार ने अपनी रिपोर्ट में आवंटियों की सही समस्याओं को दर्ज ही नहीं किया।
पहले चोरी से बदला नक्शा, अब प्रमाणपत्र देने की तैयारी
आलोक सिंह ने आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि एलडीए पार्श्वनाथ के दस में से सात टॉवरों को पहले ही पूणता: प्रमाणपत्र देने के साथ ही नक्शे में बदलाव करते हुए परिसर के कुछ हिस्सों को व्यवसायिक इस्तेमाल की परमिशन तक दे चुका है। जबकि एक्ट के मुताबिक जहां सभी टॉवरों का प्रमाणपत्र एक साथ देना होता है, वहीं नक्शें में संशोधन के लिए भी दो तिहाई आवंटियों से सहमति लेना आवश्यक होता है। इन सबके अलावा अब एलडीए एक बार फिर बिल्डर के हाथों रोबोट की तरह काम करते हुए बाकी बचे तीन अन्य टॉवरो का प्रमाणपत्र जारी करने की तैयारी कर रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट का आदेश हुआ तो एक महीनें में पूरा करा दिया काम
आवंटी व व्यापारी नेता राजीव अग्रवाल ने बताया कि बिल्डर की मनमानी से परेशान 12 आवंटी सुप्रीम कोर्ट तक गए। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद पार्श्वनाथ ने एक महीने से भी कम समय में सभी 12 आवंटियों को काम पूरा कराकर उनके फ्लैट सौंप दिए।
ये है आवंटियों की मुख्य मांगे-
फ्लैट व परिसर के बाकी बचे कामों को जल्द से जल्द पूरा कराया जाए।
गलत तरीके से जारी किए गए प्रमाण पत्र निरस्त किए जाए।
संशोधित नक्शे को भी पहले जैसा किया जाए।
इतनी बार गड़बड़ी होने के बाद अब एलडीए उपाध्यक्ष कम से कम एक बार खुद आकर आवंटियों की समस्याओं को देंखे और दूर कराएं।
आवंटियों की परेशानी को समझते हुए मनमानी करने वाले बिल्डर पर एलडीए तय नियमों के तहत कार्रवाई करे।
प्रेसवार्ता में नवीन तिवारी, प्रियंका जोहरी, युक्ता मनचंदा समेत अन्य आवंटी भी मौजूद रहे।
मामला अभी हमारे संज्ञान में नहीं था। अन्य पक्षों को जानने के बाद एलडीए से नियमों के अनुसार कार्रवाई करने के लिए कहा जाएगा। प्राधिकरणों की कार्यप्रणाली सुधारने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। मुकुल सिंघल, प्रमुख सचिव आवास