आरयू वेब टीम। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में भाजपा के करीब 80 मुस्लिम नेताओं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता छोड़ने की घोषणा की है। उन्होंने इस कानून को विभाजनकारी बताया है। इन भाजपा नेताओं में शामिल राजिक कुरैशी फर्शीवाला ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पार्टी छोड़ने वाले सभी कार्यकर्ता भाजपा की इंदौर, देवास और खरगोन की अल्पसंख्यक शाखाओं से जुड़े थे।
इस्तीफा देने वाले नेताओं में से एक राजिक कुरैशी फारशीवाला ने कहा कि लगभग 80 मुस्लिम सदस्यों ने गुरुवार को नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।भाजपा छोड़ने वाले मुस्लिम नेताओं ने सीएए को धार्मिक आधार पर लिया गया विभाजनकारी फैसला करार दिया है। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2019 में जबसे सीएए आया है, तबसे हमारे समुदाय के कार्यक्रमों में भाग लेना हमारे लिए कठिन होता जा रहा था। लोग हमसे पूछते है कि सीएए जैसे विभाजनकारी कानून पर हम कब तक चुप रहेंगे।
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गुरुवार को इंदौर में इस्तीफा देने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं ने मीडिया से कहा कि वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो देश में भेदभाव चल रहा है। कश्मीर से धारा 370 हटी तो हमने कहा कि अच्छा हुआ। हम उसके पक्ष में थे कि अब कश्मीर में हम भी जाकर रह सकते हैं। कार्यकर्ताओं ने कहा कि, तीन तलाक समाप्त हुआ तब भी हमने कोई हिंदू-मुस्लिम नहीं किया। बाबरी मस्जिद के फैसले में भी मंदिर के साथ मस्जिद को भी स्थान दिया जा रहा है।
इस देश में हिंदू-मुस्लिम कब तक चलेगा, एक मुद्दा खत्म होता है तो दूसरा मुद्दा सामने आ जाता है। सीएए के खिलाफ भाजपा छोड़ने वाले मुस्लिम नेताओं के पत्र में कहा गया, ‘भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत किसी भी भारतीय नागरिक को समानता का अधिकार प्राप्त है, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सीएए को धार्मिक आधार पर लागू कर देश को बांटने का कार्य किया गया है जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।