आरयू ब्यूरो, लखनऊ। भाजपा के इशारे पर पिछले यूपी विधानसभा चुनाव में सपा के वोटरों के नाम लिस्ट से काटने के गंभीर आरोप पर चुनाव आयोग अब गंभीर हो गया है। चुनाव आयोग से आरोप लगाने वाले सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को नोटिस जारी कर आरोप का सबूत पेश करने को कहा है। यूपी के पूर्व सीएम के बयान पर करीब एक महीने बाद एक्शन में आए चुनाव आयोग ने अखिलेश को दस नवंबर तक का समय दिया है।
समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार चुनाव आयोग ने समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव को सार्वजनिक मंचों पर उनके लगाए आरोपों को साबित करने के लिए सबूत पेश करने को कहा है कि चुनाव आयोग ने बीजेपी के इशारे पर लगभग सभी यूपी विधानसभा क्षेत्रों में यादव और मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं के 20,000 नाम जानबूझकर हटा दिए।
चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को 10 नवंबर 2022 तक आयोग को विवरण प्रस्तुत करने को कहा है ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके। उन्हें इतनी बड़ी संख्या में हटाए जाने का विधानसभा के मुताबिक जानकारी प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
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बताते चलें कि करीब एक महीने पहले 29 सितंबर को लखनऊ में आयोजित सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन में अखिलेश को तीसरी बार पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था। इस दौरान अखिलेश ने सपा नेता व कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन करते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा था। अखिलेश ने कहा था कि हर हथकण्डे अपना कर सरकार हम लोगों से छीन ली गयी। अगर हर बूथ पर 2-3 फीसद वोट बढ़ा लेते तो उनकी इतनी बेईमानी के बाद भी हम लोग जीत लेते। चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए भी अखिलेश ने कहा कि भाजपा के पन्ना प्रभारी के इशारे पर हमारे वोटरों के नाम चुनाव आयोग ने लिस्ट से काट दिए। हम लोग अब जेल जाने के लिए तैयार रहेंगे।